Saturday, May 28, 2011

लोभ से विनाश

                       बहुत समय पहले की बात है| किसी गांव में एक किसान रहता था| गांव में ही  खेती का काम करके अपना और अपने परिवार का पेट पलता था| किसान अपने खेतों में बहुत मेहनत से काम करता था, परन्तु इसमें उसे कभी लाभ नहीं होता था| एक दिन दोपहर में धूप से पीड़ित होकर वह अपने खेत के पास एक पेड़ की छाया में आराम कर रहा था| सहसा उस ने देखा कि एक एक सर्प उसके पास ही बाल्मिक (बांबी) से निकल कर फेन फैलाए बैठा है| किसान आस्तिक और धर्मात्मा प्रकृति का सज्जन व्यक्ति था| उसने विचार किया कि ये नागदेव अवश्य ही मेरे खेत के देवता हैं, मैंने कभी इनकी पूजा नहीं की, लगता है इसी लिए मुझे खेती से लाभ नहीं मिला| यह सोचकर वह बाल्मिक  के पास जाकर बोला-"हे क्षेत्ररक्षक नागदेव! मुझे अब तक मालूम नहीं था कि आप यहाँ रहते हैं, इसलिए मैंने कभी आपकी पूजा नहीं की, अब आप मेरी रक्षा करें|" ऐसा कहकर एक कसोरे में दूध लाकर नागदेवता के लिए रखकर वह घर चला गया| प्रात:काल खेत में आने पर उसने देखा कि कसोरे में एक स्वर्ण मुद्रा रखी हुई है| अब किसान प्रतिदिन नागदेवता को दूध पिलाता और बदले में उसे एक स्वर्ण  मुद्रा प्राप्त होती| यह क्रम बहुत समय तक चलता रहा| किसान की सामाजिक और आर्थिक हालत बदल गई थी| अब वह धनाड्य  हो गया था|
                     एक दिन किसान को किसी काम से दूसरे गांव जाना था| अत: उसने नित्यप्रति का यह कार्य अपने बेटे को सौंप दिया| किसान का बेटा किसान के बिपरीत लालची और क्रूर स्वभाव का था| वह दूध लेकर गया और सर्प के बाल्मिक के पास रख कर लौट आया| दूसरे दिन जब कसोरालेने गया तो उसने देखाकि उसमें एक स्वर्ण मुद्रा रखी है| उसे देखकर उसके मन में लालच  आ गया| उसने सोचा कि इस बाल्मिक में बहुत सी स्वर्णमुद्राएँ हैं और यह सर्प उसका रक्षक है| यदि में इस सर्प को मार कर बाल्मिक खोदूं तो मुझे सारी स्वर्णमुद्राएँ एकसाथ मिल जाएंगी| यह  सोचकर उसने सर्प पर प्रहार किया, परन्तु भाग्यवस   सर्प बच गया एवं क्रोधित हो अपने विषैले दांतों से उसने उसे काट लिया| इस प्रकार किसान बेटे की लोभवस मृतु हो गई| इसी लिए कहते हैं कि लोभ करना ठीक नहीं है|  

Friday, May 20, 2011

लोमड़ी और सारस

                       बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी रहा करते थे| सभी जानवर आपस में मिलजुल कर रहते थे| एक बार एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी| घूमते घूमते उसकी मुलाकात एक सारस से हो गई| धीरे धीरे दोनों की मुलाकात दोस्ती में बदल गई| दोनों पक्के दोस्त बन गए| एक दिन लोमड़ी ने सारस से कहा हमारी दोस्ती काफी दिनों से है पर हमने कभी भी एक दुसरे को दावत नहीं दी| कल को में तुम्हे दावत देना चाहता हूँ,  तुम मेरे घर दावत पर जरुर आना| सारस ने उसकी दावत का निमंत्रण सहर्ष स्वीकार कर लिया|
                      अगले दिन सारस सही समय पर लोमड़ी के घर दावत लेने पहुँच गया| लोमड़ी ने भी उसका स्वागत किया| खाने में लोमड़ी ने स्वादिष्ट खीर बनाई थी| जब खाने का समय हुआ तो लोमड़ी एक चौड़े बर्तन में खीर परोस कर ले आई| दोनों खाने लगे| सारस की चोंच इस में डूब नहीं रही थी इस लिए खीर का आनंद नहीं ले सका| लोमड़ी फटाफट सारी खीर चाट गई| सारस बिचारा भूखा ही रह गया| सारस लोमड़ी की चालाकी को समझ गया| सारस ने लोमड़ी को सबक सिखाने की सोची| फिर एक दिन सारस ने भी लोमड़ी को अपने घर दावत देने की सोची| उसने लोमड़ी को दावत का निमंत्रण दे दिया| लोमड़ी ने भी दावत को सहर्ष स्वीकार कर लिया| अगले दिन लोमड़ी बड़े चाव से सारस के घर दावत उड़ाने चली गई| सारस ने भी उसकी मनपसंद खीर बनाई थी| जब खाने का समय आया तो सारस एक पतले मुंह वाले बर्तन में खीर परोस कर ले आया और लोमड़ी को खाने का आग्रह किया| जब लोमड़ी खाने लगी तो उसकी जीभ खीर तक पहुंची ही नहीं| सारस ने अपनी लम्बी चौंच से सारी खीर डकार ली| लोमड़ी बेचारी को भूखे पेट ही रहना पड़ा और अपने किए पर काफी पछतावा भी हुआ| इसी लिए कहते है कि जो जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करता है उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए|

Wednesday, May 11, 2011

चालाक बिल्ली

                             बहुत समय पहले की बात है| एक जंगल में एक बहुत बड़ा पेड़ था| इस पेड़ की शाखाओं पर  बहुत सारे पक्षी रहा करते थे| इस पेड़ की एक शाखा पर एक चिड़िया और एक कौवा भी रहते थे|  दोनों ने अपने अपने घोंसले बना रक्खे थे| एक दिन चिड़िया ने कौवे से कहा "नजदीक में ही बहुत सारी फसल पक कर तयार हुई है में उसकी दवात उड़ाने जा रही हूँ तुम मेरे घर का ख्याल रखना"| कौवे ने कहा ठीक है| चिड़िया फुर्र से उड़ गई| शाम को कौवा चिड़िया का इंतजार करता रहा  पर चिड़िया नहीं आई| धीरे धीरे कई दिन बीतने पर कौवे ने सोचा कि हो सकता है, चिड़िया को किसी ने पकड़ लिया हो| कौवे को अब उमीद नहीं थी कि चिड़िया वापस आ जाएगी| एक दिन एक सफ़ेद रंग का खरगोश  वहां से जा रहा था तो उसकी नज़र उस खाली पड़े घोंसले पर पड़ी| अन्दर जा कर देखा वहां कोई नहीं था| खरगोश  को यह घर पसंद आगया और वह उसी घर में रहने लगा| कौवे ने भी कोई एतराज  नहीं किया|      
                          बहुत दिन बीतने पर जब फसल ख़तम हो गई तो चिड़िया वापस अपने घोंसले में आई| यहाँ आकर उसने देखा कि उसके घर में एक सफ़ेद रंग का खरगोश रह रहा है| उसने खरगोश से कहा कि यह घर तो मेरा है| खरगोश ने कहा में यहाँ कई दिनों से रह रहा हूँ इस लिए यह घर मेरा है| चिड़िया जब तक उड़ने वाली नहीं होती तबतक ही घोंसले में रहती है| चिड़िया नहीं मानी| खरगोश भी नहीं माना| दोनों खूब जोर जोर से बोल रहे थे| आखीर  में खरगोश ने कहा हमें किसी बुद्धिमान के पास जाकर अपना फैसला करवाना चाहिए| जिस के हक़ में फैसला होगा वह इसमें रहेगा , दूसरे को जाना  पड़ेगा| इस बात को चिड़िया भी मान गई| इन की इस  लड़ाई को एक बिल्ली ने भी सुन लिया था| बिल्ली फटा फट एक माला हाथ में लेकर जोर जोर से राम राम रटने लग गई| जैसे ही खरगोश की नज़र उस पर पड़ी तो खरगोश ने कहा वह देखो वह बिल्ली राम राम रट रहीं है उसी से फैसला करवा लेते है| चिड़िया ने कहा यह  हमारी पुरानी दुश्मन है इस लिए इस से दूरी बना कर ही बात करनी होगी| चिड़िया ने दूर से ही आवाज देकर कहा "महाराज हमारा एक फैसला करना है|" बिल्ली ने आँख खोलते कान पर हाथ रख कर कहा "क्या कहा जरा नजदीक आकर जोर से बोलो| चिड़िया ने जोर से कहा हमारा एक फैसला करना है जिस की जीत होगी उसको छोड़ दूसरे को तुम खा लेना| बिल्ली ने कहा "छि:, छि: तुम यह कैसी बातें कर रही हो| मेंने तो शिकार करना कब का छोड़ दिया है| तुम निडर हो कर नजदीक आकर मुझे सब बताओ में फैसला कर दूंगी | खरगोश को उसकी बात पर भरोसा हो गया| वह बिल्ली के नजदीक गया तो बिल्ली बोली "और नजदीक आओ मेरे कान में सारी  बात बताओ| खरगोश ने उसके कान में सभी कहानी बतादी| चिड़िया भी यह देख कर बिल्ली के पास पहुँच गई| मौका देखते ही बिल्ली ने झपटा मार कर दोनों को मार दिया और खा  गई| पेट भर जाने के बाद बिल्ली खुद घोंसले में गई और सोगई|  इसलिए कभी भी अपने दुश्मन पर विश्वास नहीं करना चाहिए|  

Saturday, May 7, 2011

दिमाग के बिना गधा

                  किसी जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे| इस जंगल में एक शेर भी था| शेर ने एक  लोमड़ी को अपना सहायक बनाया हुआ था| अपने शिकार में से वह थोडा सा हिस्सा लोमड़ी को भी दे दिया करता था| एक दिन शेर का मुकाबला हाथी से हो गया| हाथी ने बहुत बुरे तरीके से शेर को घुमाया और बहुत दूर फैंक दिया| शेर को बहुत सी चोटें आईं जिस से वह शिकार करने के काबिल नहीं रहा|  भूखों मरने की नौबत आ गई| शेर के साथ साथ लोमड़ी भी भूखी ही रह गई| एक दिन शेर ने लोमड़ी से कहा कि तुम बहुत चतुर हो क्यों न तुम किसी जानवर को अपने साथ यहाँ तक ले आती ? यहाँ लाने के बाद में उसे मार गिराऊंगा और हमारे भोजन का इंतजाम हो जाएगा| लोमड़ी ने कहा ठीक है| लोमड़ी जंगल  में किसी मूर्ख जानवर को ढूढने चल पड़ी| बहुत दूर जाने के बाद उसे एक मूर्ख गधा चरता हुआ  दिखाई दिया| उसने सोचा इसी को पटाना चाहिए| वह गधे के पास गयी और उसको लालच देते हुए बोली  "आप यहाँ क्या कर रहे हैं यहाँ तो कोई हरी घास चरने को नहीं है, आप लोग कितने कमजोर हैं "| गधे को पहली बार किसी ने इतने मीठे शब्दों में बोला था| तो गधे ने जवाब दिया लोमड़ी बहिन  अब में तुम्हें क्या बताऊ मेरा मालिक जरुरत से जादा बोझ मेरे ऊपर लादता है और पेट भर कर खाना भी नहीं देता है| लोमड़ी ने उसके साथ सहमति जताते हुए कहा कि क्यों न तुम मेरे साथ जंगल में चलो वहां तो बहुत सारी हरी घास है| इसपर गधे ने कहा वहां जंगल में बहुत सारे शिकारी जानवर भी तो हैं| यह सुनते ही लोमड़ी सावधान हो गई और बोली तुम्हें किसी भी जंगली जानवर से डरने की जरुरत नहीं है| तुम जानते हो मुझे यहाँ जंगल के राजा शेर ने भेजा है| शेर चाहता है कि आदमी के सताए हुए सभी जानवरों को जंगल में शरण  दी जाए| उन्हों ने तो तुम्हें मंत्री बनाने का भी फैसला किया है| इस बात को सुन कर गधा बहुत खुश होया और लोमड़ी के साथ जंगल को चल दिया| बहुत दिनों से भूखा होने पर जैसे ही गधा शेर के सामने गया शेर उस पर कूद पड़ा| गधा डर गया और वहां से भाग खड़ा हुआ| बेचारा शेर फिर भूखा रह गया| लोमड़ी ने शेर ने कहा आप ने इतनी जल्दी क्यों हमला कर दिया उसको अपने नजदीक तो आने देना था| कोई बात नहीं में गधे को दुबारा यहाँ ले आती हूँ| आप चिंता मत करें| यह कहते हुए लोमड़ी गधे के पीछे भागी| शेर ने एक लम्बी साँस ली और सोचने लगा गधा  दुबारा यहाँ क्यों आएगा| जैसे ही लोमड़ी गधे के पास पहुंची उसने उसको विस्वास दिलाते हुए कहा जंगल का राजा तुम्हारे स्वागत के लिए आगे आया और तुम वहां से भाग खड़े हुए| मुझे यह बताओ कि अगर राजाने तुम्हें मारना ही होता तो क्या तुम अपने प्राणों को बचा पाते राजा तुम्हें एक ही पंजे से ख़तम कर सकता था| अब आओ तुम्हारे पास एक मौका है मंत्री बन ने का| में भी तुम्हारी सिफारिस करूँगा  राजा तुम्हें मंत्री बना देंगे| यह सुनते ही गधा फिर शेर के पास जानेको तयार हो गया| इस बार शेर ने गधे को बहुत नजदीक आने दिया| नजदीक आने पर शेर ने एक पंजा मारा गधा मर गया| इसके बाद शेर ने लोमड़ी से कहा यहाँ बैठ कर इसकी रखवाली करो तब तक में नहा आता हूँ| नहाकर इसे खाएंगे| लोमड़ी बहुत भूखी थी उसने चुप करके गधे का दिमाग निकला और खागई | कुछ देर बाद शेर नहाके आया उसने देखा कि गधे का दिमाग गायब है| उसने गुस्से में आकर लोमड़ी से कहा ये लोमड़ी मुझे इस गधे का दिमाग दिखाई नहीं दे रहा है यह कहाँ गया| लोमड़ी ने चतुराई से कहा राजा जी अगर इस गधे के पास दिमाग होता तो क्या यह मरने के लिए हमारे पास आता  इस गधे के पास तो दिमाग ही नहीं था|