Tuesday, September 17, 2013

कर्ज


                     एक बादशाह बड़ा ही न्यायप्रिय था। वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में शामिल होने की हरसंभव कोशिश करता था। प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी। एक दिन वह जंगल में शिकार के लिए जा रहा था। रास्ते में उसने एक वृद्ध को एक छोटा सा पौधा लगाते देखा।

                      बादशाह ने उसके पास जाकर कहा- यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं? वृद्ध ने धीमे स्वर में कहा- अखरोट का। बादशाह ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा। हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा। फिर बोला- सुनो भाई, इस पौधे के बड़े होने और उस पर फल आने में कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम तो रहोगे नहीं। वृद्ध ने बादशाह की ओर देखा। बादशाह की आंखों में मायूसी थी। उसे लग रहा था कि वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा।

                      वृद्ध राजा के मन के विचार को ताड़ गया। उसने बादशाह से कहा- आप सोच रहे होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूं। जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुंचता, उस पर कौन मेहनत करता है, लेकिन यह भी सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है?

                      दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाएं हैं। क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनसे फल दूसरे लोग खा सकें? बूढ़े की यह बात सुनकर बादशाह ने निश्चय किया कि वह प्रतिदिन एक पौधा लगाया करेगा।

Wednesday, September 11, 2013

सफलता


                     एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ कि हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! 
                      ये स्पष्ट था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे. उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती कि इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते, और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.”  आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!!
                     इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं. 

                    याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए आप हाथी नहीं इंसान हैं ।

Monday, September 9, 2013

समय की कीमत

                      एक व्यक्ति आफिस में देर रात तक काम करने के बाद थका-हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका छोटा सा बेटा सोने की बजाय उसका इंतज़ार कर रहा है . अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —“ पापा , क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकता हूँ ?” “ हाँ -हाँ पूछो , क्या पूछना है ?” पिता ने कहा . बेटा – “ पापा , आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं ?” “ इससे तुम्हारा क्या लेना देना …तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो?” पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया .बेटा – “ मैं बस यूँ ही जाननाचाहता हूँ . प्लीज बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं ?” पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा , नहीं बताऊंगा , तुम जाकर सो जाओ “यह सुन बेटा दुखी हो गया …और वह अपने कमरे में चला गया . व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे ने ऐसा क्यों पूछा ……पर एक -आधघंटा बीतने के बाद वह थोडा शांत हुआ ,फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला , “ क्या तुम सो रहे हो ?”, “नहीं ” जवाब आया . “ मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट दिया ,

                       दरअसल दिन भर के काम से मै बहुत थक गया था .” व्यक्ति ने कहा. सारी बेटा “…….मै एक घंटे में १०० रूपया कमा लेता हूँ। थैंक यूं पापा ” बेटे ने ख़ुशी से बोला और तेजी से उठकर अपनी आलमारी की तरफ गया , वहां से उसने अपने गोल्लक तोड़े और ढेर सारेसिक्के निकाले और धीरे -धीरे उन्हेंगिनने लगा . “ पापा मेरे पास 100 रूपये हैं . क्या मैं आपसे आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? प्लीज आप ये पैसे ले लोजिये और कल घर जल्दी आ जाइये , मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ .” दोस्तों , इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुद को इतना व्यस्त कर लेते हैं कि उन लोगो के लिए ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा अहमयित रखते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस आपा-धापी भरी जिंदगी में भी हम अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्न मित्रों के लिए समय निकालें, वरना एक दिन हमें अहसासहोगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया है।

Friday, September 6, 2013

आंसू और दुःख


              एक आदमी की 8 साल की इकलोती और लाडली बेटी बीमार पड़ गयी. बहुत कोशिश के बाद भी वो नहीं बच पाई. पिता गहरे शोक में डूब गया और खुद को दुनिया और दोस्तों से दूर कर लिया. एक रात उसे सपना आया की वो स्वर्ग में था जहाँ नन्ही परियो का जुलुस जा रहा था. वो सब जलती मोमबत्ती को हाथ में लिए सफ़ेद पोशाक में थी. उनमे से एक लड़की की मोमबत्ती बुझी हुई थी. व्यक्ति ने पास जाकर देखा तो वो उसकी बेटी थी. उसने अपनी बेटी को दुलारा और पूछा की बेटी तुम्हारी मोमबत्ती में रौशनी क्यों नहीं हैं?’ लड़की बोली की पापा ये लोग कई बार मेरी मोमबत्ती जलाते हैं लेकिन आपके आंसुओ से हर बार बुझ जाती हैं.एकदम से उस आदमी की नीदं खुली और उसे सपने का मतलब समझ आ गया. तब से उसने दोस्तों से मिलना खुश रहना शुरू कर दिया ताकि उसके आंसुओ से उसकी बेटी की मोमबत्ती न बुझे.
                  “
कई बार हमारे आंसू और दुःख, हमारे न चाहते हुए भी अपनों को दुःख देते हैं. और वे भी दुखी हो जाते हैं.