Saturday, April 30, 2011

मूर्ख घोड़ा

             किसी जंगल में एक घोडा रहता था| जहाँ पर घोडा रहता था वहां बहुत सारी हरी हरी घास उगी हुई थी| यह घास बहुत स्वादी और रसीली थी| घोडा यह घास बहुत चाव से खाता  था| घोड़े की जिंदगी आराम से बीत रही थी| एक दिन वहां एक हाथी घूमता हुआ आ गया| हाथी को कोमल घास में चलने में बहुत मजा आ रहा था| उसी घास में वह लोटनी खाने लगा| हरी घास को टूटता हुआ देख कर घोडा बहुत दुखी हुआ| हाथी को वह जगह बेहद पसंद आगई थी| इसी कारण से वह कहीं जानेका नाम ही नहीं ले रहा था| घोडा सोचता रहता था कि हाथी को यहाँ से कैसे भगाया जाये| 
             हाथी का सब से बड़ा शत्रु है शेर! शेर की ही मदद ली जाय तो? पर कहीं वह शेर मुझे ही खा गया तो? उसके बदले मनुष्य की सहायता ली जाय तो कैसा रहेगा| ऐसा सोच कर घोडा मनुष्य के पास  गया| उसने मनुष्य को सारी बात बताई कि कैसे हाथी हरी हरी घास को ख़राब कर रहा है| मनुष्य ने कहा सिर्फ हाथी को मारना है| तुम्हारा ये कम में कर दूंगा पर इसके लिए तुम्हें मेरी मदद करनी होगी| अगर हाथी अपनी जान बचाने  के लिए भागा तो मुझे उसका पीछा करना  पड़ेगा| उसके लिए मुझे तुम्हारी पीठ पर बैठ कर दौड़ना पड़ेगा| घोडा उत्त्साह में बोला अगर हाथी मरता है तो  जो तुम कहोगे में करने को तयार हूँ| अब मनुष्य  ने घोड़े की सवारी करने के लिए घोड़े की पीठ पर जीन बांधा और  मुंह में लगाम डाल दी| फिर उसने अपने धनुष और बाण लिए और घोड़े पर सवार हो गया| घोड़े को टक टक करके भगाया| मनुष्य को घोड़े की पीठ पर बैठ कर चलना बहुत अच्छा लगा| कुछ ही देर में वे दोनों हाथी के पास पहुंचे| हाथी आखें फाड़ फाड़ कर देखने लगा घोड़े की पीठ पर ये नवीन प्राणी कौन है भला| इतने में मनुष्य ने हाथी पर निशाना लगाकर जहरीले बाण चलाने शुरू कर दिए| बाण के लगते ही हाथी यहां वहां भागने लगा| आखिर कार हाथी गिर पड़ा| जहर के कारन हाथी को अपनी जान गवानी पड़ी| घोड़े ने मनुष्य से कहा कि मैं  तुम्हारा मन से धन्यवाद करता हूँ| अब तुम नीचे उतरो और यह जीन और लगाम उतार लो| अब मुझे मुक्त कर दो| यह सुनकर मनुष्य जोर जोर से हसने लगा फिर घोड़े से कहा मुक्त होने की आशा तुम हमेसा के लिए छोड़ दो| उसी में भलाई है| उसदिन से घोडा मनुष्य का गुलाम बन गया| इस लिए बिना सोचे समझे किसी पर विस्वास नहीं करना चाहिए|        (फोटो गूगल)
 

Saturday, April 23, 2011

ईश्वर देता है|

            बहुत समय पहले की बात है| एक शहर में एक दयालु राजा रहता था| उस के यहाँ रोज दो भिखारी भीख मांगने आया करते थे| उन में एक भिखारी जवान था और एक भिखारी बूढ़ा था| राजा उनको रोज रोटी और पैसा दिया करता था| भीख लेने के बाद बूढ़ा भिखारी कहता था ईश्वर देता है| जवान भिखारी कहता था हमारे महाराज की देन है| एक दिन राजा ने उन्हे आम दिनों से जादा धन दिया| छोटे भिखारी ने कहा हमारे महाराज की देन है| बूढ़े भिखारी  ने कहा ईश्वर की  देन  है| यह सुन कर राजा को बहुत गुस्सा आया उसने सोचा इन का भरण पोषण तो मैं करता हूँ और यह भिखारी कहता है की ईश्वर की देन है| राजा ने छोटे भिखारी की और सहायता करने की सोची और अगले दिन राजा ने कहा आज तुम इस नए रस्ते से जाओगे लेकिन पहले छोटा भिखारी जाएगा बाद में बूढ़ा भिखारी जाएगा| यह कहते हुए राजा ने नए रस्ते में एक सोने से भरी थैली रखवा दी ताकि छोटे भिखारी को मिल सके| जब छोटा भिखारी इस नए रस्ते से जा रहा था तो उसने देखा की यह रास्ता काफी चौड़ा और समतल है| उसने सोचा इस रस्ते से में आँखें बंद कर के जा सकता हूँ| जहाँ पर राजा ने सोने की थैली रखी थी छोटा भिखारी वहां से आँखें बंद करके आगे निकल गया और सोने की थैली वहीँ रह गई| कुछ देर बाद जब बूढ़ा भिखारी पीछे से गया तो उसे यह थैली मिल गई| उसने उठाई और भगवान का धन्यवाद किया| अगले दिन जब भिखारी फिर राजा के पास गए तो राजा ने छोटे भिखारी को देखते हुए बोला  आप को मेरे  भेजे हुए रस्ते में कुछ मिला कि नहीं| छोटे भिखरी ने कहा रास्ता तो बहुत अच्छा था पर मुझे वहां कुछ नहीं मिला| बूढ़े भखारी ने कहा मुझे एक सोने से भरी थैली मिली जो ईश्वर की देन थी| राजा ने अब निश्चय  कर लिया की वह बूढ़े वाले भिखारी को ये दिखा के रहेगा की वह उसका असली पालन करता है| जैसे ही दोनों  भिखारी जाने लगे राजा ने छोटे  भिखारी को बुलाकर उसे एक कद्दू दिया जो सोने चाँदी से भरा हुआ था| पर ऊपर से बंद था| भिखरी यह नहीं जानता था कि यह कद्दू सोने चाँदी से भरा है| रास्ते में एक दुकान में उसने यह कद्दू बेच दिया| अगले दिन राजा ने उन भिखारियों से पूछा कि बताओ पिछले दिन कोई महत्वपूर्ण घटना घटी हो| छोटे भिखारी ने कहा महाराज जो कद्दू आपने मुझे दिया था वह मेंने एक ब्यापारी को बेच दिया जिस से मुझे थोडा सा धन मिल गया| राजा को बहुत गुस्सा आया पर राजा ने अपने गुस्से को ब्यक्त नहीं किया| बूढ़े भिखारी से  कहा क्या तुने भी पहले से जादा कमाया? बूढ़े भिखारी ने कहा, निश्चय  ही कमाया है जैसे ही में जा रहा था एक ब्यापारी ने मुझे एक कद्दू दिया| जब घर जाकर मेंने कद्दू को चीरा तो उसमें से सोने चाँदी के सिक्के निकले| उसने कहा ईश्वर देता है|
इसी लिए कहते हैं कि इश्वर की मर्जी के बगैर कुछ भी नहीं होता है|  

Saturday, April 16, 2011

बन्दर और मगरमच्छ

           बहुत समय पहले की बात है| एक नदी में एक मगरमच्छ  का जोड़ा रहता था| नर और मादा मगरमच्छ| नर मगरमच्छ रोज सुबह सुबह धूप सेकने के लिए नदी के किनारे पर आ जाया करता था| मादा मगरमच्छ नदी के बीच में ही रहा करती थी|  नदी के किनारे पर बहुत सारे जामुन के पेड़ थे| मौसम आने पर ये पेड़ काले काले मीठे जामुनों से लद जाते थे| इन जामुनों को खाने के लिए एक बन्दर भी वहां आता था| बन्दर और मगरमच्छ रोज मिला करते थे| धीरे  धीरे बन्दर और मगरमच्छ में घनिष्ट दोस्ती हो गई| बन्दर मगरमच्छ के लिए मीठे रसीले जामुन तोड़ कर लाया करता था| दोनों बैठे आराम से जामुनों का मजा लेते थे| एक दिन बन्दर बहुत सारे जामुन तोड़ कर लाया और मगरमच्छ से कहा आज इन जामुनों को भाभी जी के लिए लेकर जाना| भाभी जी इन्हें खा कर बहुत खुश होंगी| मगरमच्छ ने जामुन लिए और सीधे मादा मगरमच्छ के पास चला गया| मादा मगरमच्छ मीठे जामुनों का स्वाद लेकर बहुत खुश हुई| खाते  खाते उस के दिमाग में आया की अगर ये जामुन इतने मीठे हैं तो इन जामुनों को रोज खाने वाले बन्दर का जिगर कितना मीठा नहीं होगा| उसने मगरमच्छ से कहा मुझे बन्दर के जिगर  का नाश्ता करना है| मुझे बन्दर का जिगर चाहिए| सुनते ही मगरमच्छ ने कहा " तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया वह तो मेरा पक्का दोस्त है"| दोस्त से गद्दारी करना ठीक नहीं| पर मादा मगरमच्छ ने उसकी एक भी नहीं सुनी| मादा मगरमच्छ ने खाना पीना भी छोड़ दिया| नर मगरमच्छ ने बहुत समझाने की कोशिश की पर वह नहीं मानी| आखिर  में नर मगरमच्छ को ही मानना पड़ा| अगले दिन जब नर मगरमच्छ  नदी के किनारे पर आया तो बन्दर भी आगया| मगरमच्छ ने बन्दर से कहा तुम्हारी भाभी ने तुम्हें धन्यवाद दिया है और नाश्ते पर बुलाया है| बन्दर ने बिना सोचे समझे हाँ कर दी, पर कहा की मुझे तो तैरना नहीं आता है| में कैसे जाऊंगा| मगरमच्छ ने कहा तुम मेरे पीठ पर बैठो में तुम्हें ले चलूँगा| बन्दर छलांग मारकर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया| मगरमच्छ उसको लेकर अपने घर की ओर चला गया| रास्ते में मगरमच्छ ने बन्दर को बताया की तेरी भाभी तेरा जिगर का नाश्ता करना चाहती है| मैं ने गलत कहता की तुम्हें नाश्ते पर बुलाया है| सुनते ही बन्दर अचम्भे में पड़ गया|  कुछ सोचने के बाद बन्दर ने कहा " यह तो मेरा अहोभाग्य है की में किसी के काम आ सकूँ"| आप ने यह बात मुझे पहले नहीं बताई में अपना दिल सुरक्षा के तौर पर जामुन  के पेड़ पर टांग कर आता हूँ| आप कहते तो उसे साथ लेते आता| मगरमच्छ ने कहा हम मुड़ जाते है तुम जिगर उतर कर ले आना| बन्दर ने कहा ठीक है| जैसे ही मगरमच्छ किनारे पर पहुंचा बन्दर ने छाल मारी और पेड़ पर चढ़ गया| ऊपर टहनी में बैठ कर बोला "अरे मुर्ख कोई बगैर जिगर के भी जी सकता है"| जैसे तुमने मुझे मूर्ख बनाया था वैसे ही मैंने तुम्हें मूर्ख बनाया है| अब जाओ फिर कभी लौट के यहाँ मत आना|                                                                                        (फोटो गूगल से)

Friday, April 8, 2011

चतुर मेमना

           
  बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल के किनारे घास के मैदान में एक बकरियों का झुण्ड रहा करता था|  इस बकरियों के झुण्ड की रखवाली के लिए दो गद्दी कुत्ते हुआ करते थे| बकरियां कभी भी जंगल के अन्दर हरी घास खाने नहीं जाती थी| जंगल के बीच में कई शिकारी जानवर रहते थे| जिनसे बकरियों को हमेशा खतरा बना रहता था| बकरियां मैदान के नजदीक ही चर कर अपना पेट भर लेती थी| बकरियां अपने मेमनों को भी जंगल के बीच में जाने से रोकती रहती थी और समझाती रहती थी कि अगर वे जंगल में जाएँगे तो उनकी जान को खतरा हो सकता है| एक दिन एक छोटा सा मेमना हरी और मीठी घास खाते  खाते जंगल के बीच में चला गया| जैसे ही वह जंगल में गया एक भेड़िए ने उसे देख लिया| भेड़िए ने अपने मन में सोचा "आज के भोजन का इंतजाम हो गया है| इतना सोचते ही दुष्ट भेडिया मेमने के सामने कूद पड़ा| उसने अपने बड़े बड़े नुकीले दांत भींच कर बोला तुम्हें मालूम है तुम्हे इस तरह यहाँ घूमना नहीं चाहिए| भेड़िए को देख कर मेमना डर गया और भय के मारे कांपने लगा|  परन्तु उसने धैर्य के साथ कहा मुझे मालूम है इस तरह घूम कर में बड़ी शरारत कर रहा हूँ| यह सुन कर भेडिया उस पर जोर से हंस पड़ा| और जोर से बोला अब तुम शरारती बने हो तुम्हें दंड मिलना चाहिए| मैं तुम्हें दंड दूंगा| तुम्हे खाकर  अपना भोजन पूरा करूँगा|  मेमना बड़ा भयभीत हुआ| उसने अपनी रक्षा करना जरुरी समझा| इस लिए उसने एक उपाय सोचा| उसने भेड़िए से प्रार्थना की कि क्या आप मेरी अंतिम  इच्छा पूरी नहीं करोगे| भेड़िए ने कहा हां हां इस से मुझे कोई हानि नहीं होगी| मेमने ने कहा  हे दयालु भेडिये क्या आप मेरे लिए एक गाना नहीं गाओगे| इस बात से भेडिया बहुत खुश हुआ और जोर जोर से गाने लगा| गाने की आवाज कुत्तों के कानों में पड़ गई , कुत्ते समझ गए की छोटा मेमना जंगल में चला गया है| वे दौड़ते हुए जंगल में पहुँच गए| मेमने को ठीक ठाक देखते ही कुत्ते भेड़िए पर टूट पड़े| कुत्ते उसके टुकड़े टुकड़े कर देते पर  भेड़िए ने बड़ी मुश्किल से भाग कर अपनी जान बचाई| मेमने ने कुत्तो से बोला मुझे बचाने के लिए धन्यवाद| वह अपनी माँ के पास दौड़ता हुआ गया और कहने लगा में आगे से  इस तरह भटकता हुआ कभी नहीं जाऊंगा| हमेशा अपने बुजर्गों की बातों को मान लिया करूँगा|  
सारांश :  हमें अपने बुजर्गों की बाते हमेशा मान लेनी चाहिए|