बहुत समय पहले की बत है| किसी जंगल में एक हाथी रहता था| उस हाथी का कोई दोस्त नहीं था| एक दिन उसे जंगल के बीच में पेड़ पर एक बन्दर दिखा| हाथी ने बन्दर से कहा "बन्दर बाई मेरा कोई दोस्त नहीं है क आप मेरे साथ दोस्ती करोगे|" बन्दर ने कहा "आप बहुत बड़े हैं में बहुत छोटा हूँ और आप मेरी तरह दल पर उछल कूद भी नहीं सकते, इस्ले आप की और मेरी दोस्ती नहीं हो सकती है| अगले दिन हाथी को नेक खरगोश मिला हटी ने खरगोश को भी दोस्त बन ने के लिए का पर खगोश ने कहा आप बहुत बड़े हो में बहुत छोटा हूँ आप मी बड़े में भी नहीं आसकते इसलिए हमारी दोस्ती नहीं हो सकती है| फिर हाथी तालाब के किनारे गया वहां उसे एक मेढक मिला| हाथी ने मेढक से कहा की मेढक भाई क्या मुझ से दोस्ती करोगे| मेढक ने कहा जरा अपना शारीर तो देखो कितना बड़ा है और में कितना छोटा हूँ इस लिए हमारी दोस्ती संभव नहीं है|
अगले दिन हाथी को एक गीदड़ मिल गया हाथी ने उस से भी दोस्ती करने के लिए कहा पर गीदड़ ने भी दोस्ती करने से मना कर दिया| शाम को हाथी ने देखा की जंगल के सबी जानवर भाग कर जा रहे हैं| हाथी ने उनको रोक कर कारन जानना चाहा| गीदड़ ने बताया की जंगल का राजा शेर सब को मार कर खा जाना चाहता है| इसलिए सभी जानवर अपनी जान बचने के लिएभाग रहे है| हाथी ने शेर से कहा तुम इस तरह सभी जानवरों के पीछे क्यों पड़े हो\सभी जानवरों को एक साथ ही मारके खा लोगे क्या|
शेर ने हाथी से कहा यह मेरी मर्जी तुम रोकनेवाले कौन होते हो| हथिको सुनकर बहुत गुस्सा आया और जोर से एक लत शेर को मार दी| शेर छटक कर दूर जा गिरा | उसे बहुत साडी चोट भी लग गई| दर के मरे शेर वहां से भाग गया| जब हाथी न यह बा सभी जानवरों को बताई तो सभी जानवर बहुत खुश हो गए और सभी ने हाथी को अपना दोस्त बनालिया|इसी लिए कहते हैं की दोस्त वही जो मुसीबत में काम आये|