Sunday, January 29, 2012

एक टांग वाला बगुला

                             क अंग्रेज भारत मे घूमने को आया| उसने भारत के कई राज्यों की सैर की| उसको भारत  पसंद आया और उसने कुछ दिन यहाँ ठहरने  का मन बनाया| अंग्रेज ने शहर मे एक घर किराए पर ले लिया| घर के काम काज निपटाने के लिए एक नौकर भी रख लिया| नौकर घर के सारे काम रोटी बनाने से लेकर कपड़े धोने तक का काम करता था| एक  दिन अंग्रेज कहीं से एक बगुला मार कर लाया और नौकर से कहा की इसको अच्छी तरह से तड़का लगाकर बनाना| नौकर ने पूरे दिल  से बगुले को बनाया पर बगुले  को भूनते समय उसने बगुले की एक टांग खा ली| उसने बगुले  को पलेट मे सजा कर अंग्रेज के आगे रख दिया| अंग्रेज ने देखा की बगुले की एक टांग गायब है|उसने नौकर को बुलाकर पूछा की इस बगुले की एक ही टांग है दूसरी कहाँ गई| नौकर ने जवाब दिया की बगुले की एक ही टांग होती है| अंग्रेज ने कहा की बगुले की दो टाँगें होती हैं| मे तुम्हें कल सुबह ही दिखा दूंगा | नौकर ने कहा ठीक है| अगले दिन दोनों बगुला देखने चले गए| झील के किनारे एक बगुला बैठा हुआ दिखाई दिया|बगुले ने एक पैर ऊपर उठा रख्खा था| नौकर ने कहा वह देखो बगुले का एक ही पैर है| अंग्रेज ने अपने दोनों हाथों से ताली बजायी| बगुले ने अपना दूसरा पैर नीचे किया और उड़ गया| अंग्रेज ने कहा वह देखो उसके दो पैर हैं| नौकर ने कहा आप  रात को प्लेट  मे रख्खे बगुले के सामने अपने हाथों से ताली बजाना ही भूल गए| अगर आप ने रात को भी ताली बजाई होती तो वह बगुला भी अपनी दूसरी टांग नीचे कर देता| अंग्रेज को कोई जवाब नहीं सूझा दोनों घर को वापिस आगये|     

Tuesday, January 17, 2012

हाथी और चूहा

                       बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक पेड़ के नीचे कुछ चूहे रहते थे| चूहों ने पेड़ की जड़ के पास अपने घर बनाए हुए थे| पास में ही एक नदी बहती थी| सारे चूहे आपस में मिलजुल कर रहते थे और खुश रहते थे| एक दिन एक हाथियों का झुण्ड वहां आ गया| हाथियों ने नीचे कुछ भी नहीं देखा जो भी सामने आया सब को कुचल दिया| इस में चूहों के कई घर तबाह हो गए और कुछ चूहे बुरी तरह से घायल भी हो गए| अब चूहों ने एक सभा बुलाई जिस में उन्हों ने अपने सरदार से कहा कि वह जाकर हाथियों के सरदार से बात करे कि किस तरह उनके साथियों ने हमारे घर तबाह कर दिए हैं| चूहों का सरदार हाथियों के सरदार के पास गया और नम्रता से कहा कि आज आपके हाथियों ने हमारे बहुत सारे घर तोड़ दिए और कई चूहों को जख्मी भी कर दिया है| अब आगे से ऐसा न करें| हाथियों का सरदार दयालु था उसने कहा कि आज के बाद कोई भी हाथी तुम्हें तकलीफ नहीं देगा| यह में वादा करता हूँ| चूहों के सरदार ने कहा जब भी जरूरत हो हमें याद करना हम आपकी मदद को आ जाएँगे| चूहों का सरदार खुश होकर वापस आ गया और बताया कि सब ठीक हो गया है| सब कुछ पहले की तरह चलने लग गया|
                    काफी दिनों बाद एक शिकारी ने आकर आपना जाल नदी के किनारे पर बिछा दिया| हाथियों का सरदार इस जाल में फंस गया| उसको अपने दोस्त चूहों के सरदार की याद आई| उसने अपने साथियों को बुलाकर कहा कि वे चूहों के सरदार को बुलाकर लाएं वह ही हमारी मदद कर सकता है| हाथी दौड़ कर चूहे के पास गए और सारी बात बताई| सभी चूहे मदद के लिए दौड़ पड़े| कुछ ही मिनटों में उन्हों ने अपने तेज दांतों से जाल को काट दिया और हाथी को आजाद करा दिया| हाथी ने चूहों का धन्यवाद किया और कहा "कर भला हो भला अंत भले का भला"|


Tuesday, January 10, 2012

माँ की नसीहत

                  किसी गांव मे एक सेठ रहता था| सेठ के परिवार मे पत्नी और दो बच्चे थे| बेटा बड़ा था और उसका नाम गोमू था| बेटी छोटी थी उस का नाम गोबिंदी था| गोबिंदी घर मे सब से छोटी थी इस लिए सब की  लाडली थी| हर कोई उसकी फरमाइश  पूरी करता था| धीरे धीरे बच्चे बड़े हो गए| बेटा शादी लायक हो गया| सेठ ने एक सुन्दर सी लड़की देख कर बेटे की शादी कर दी| घर मे नईं बहु आ गयी| बहु के आने पर घर वालों का बहु के प्रति आकर्षण बढ गया| गोबिंदी कि तरफ कुछ कम हो गया | गोबिंदी इस को बर्दाश्त नहीं कर सकी| वह अपनी भाभी से इर्ष्या करने लगी| जब गोबिंदी की माँ को इस बात का पता चला तो उसने गोबिंदी को बुलाकर अपने पास बैठाया और नसीहत देनी शुरु करदी| देखो बेटी  जिस तरह तुम इस घर की  बेटी हो वैसे ही वह भी किसी के घर की  बेटी है| नए घर मे आई है| उसे अपने घर के जैसा ही प्यार मिलना चाहिए| क्या तुम नहीं चाहती हो कि जैसा प्यार तुम्हे यहाँ मिल रहा है वैसा ही प्यार तुम्हारे ससुराल मे भी मिले?                             
                       अगर तुम किसी से प्यार, इज्जत पाना चाहती हो तो पहले खुद उसकी पहल करो| प्यार बाँटने से और बढता है| इस लिए तुम पहल  कर के अपनी भाभी से प्यार करो| वह इतनी बुरी नहीं है जितनी तुम इर्ष्या  करती हो| माँ की नसीहत को गोबिंदी ने पल्ले बांध लिया | अपनी भाभी को गले लगाकर प्यार दिया,और हंसी ख़ुशी साथ रहने लगे| जितना प्यार गोबिंदी ने अपनी भाभी को दिया उस से कहीं अधिक प्यार उसको मिला| इस लिए कभी किसी से इर्ष्या  नहीं करनी चाहिए|

Monday, January 2, 2012

घमंडी का सर नीच

                          बहुत समय पहले की बात है| कहीं से एक संत एक गांव में आये| गांवकी चारदीवारी के अन्दर एक पीपल के पेड़ के नीचे धूनी रमाकर रहने लगे और भगवान का भजन करने लगे| धीरे-धीरे गांव वाले भी उनकी शरण में आने लगे| गांव वालों ने उनके लिए एक झोपड़ी भी बनवा दी| कुछ ही समय में साधू बाबा मशहूर हो गए| उसी गांव में एक सेठ भी रहता था जो काफी घमंडी था| वह बाबा से चिढ़ता था और कहता था कि बाबा तो ढोंगी है| ढोंग करता रहता है| उसने कहा कि अगर बाबा सच्चा है तो देवी के शेर को बुलाकर दिखाए| जब लोगों ने बाबा को यह बात बताई तो बाबा ने कहा अगर उसकी यही इच्छा है तो उसे में अपने ठाकुर जी से कह कर शेर के दर्शन करा दूंगा| अगले दिन बाबा जंगल में जाकर बड़े दीन भाव से अपने ठाकुर जी को पुकारने लगे "भक्त की लाज रखने को प्रभु शेर के रूप में दर्शन दो| दर्शन दो प्रभु"| इतने में एक दहाड़ता हुआ शेर प्रकट हुआ और बाबा जी के पास आगया| बाबा जी ने उसे अपने कपडे से बांध लिया और कहा "चलो प्रभु मेरे साथ"| शेर बाबा के साथ ऐसे चल रहा था जैसे पाली हुई बकरी| शेर को आता हुआ देख कर द्वारपाल ने डर से गांव के दरवाजे बंद कर दिए| शेर दरवाजा खोल कर बाबा के साथ अन्दर आगया| जैसे ही बाबा शेर को लेकर सेठ के घर के आगे आए सेठ दरवाजे बंद करके छिप गया| बाबा ने कहा दरवाजा तो बंद कर दिया है, इसने तो आपके दर्शन भी नहीं किये| शेर ने पंजा मारा और दरवाजा खोल  दिया| बाबा जी शेर के साथ अन्दर चले गए और बोले "सेठ जी आप ने शेर से मिलना था तो में ले आया हूँ लो देख लो| यह देख कर सेठ जोर जोर से रोने लगा और बाबा जी के चरणों में गिर पड़ा और मांफी मांगने लगा| सेठ दोनों हाथों को जोड़ कर आखें मूंद, सर झुका कर शेर के आगे खड़ा हो गया| इतने में बाबा और शेर दोनों ही गायब हो गए| शेठ का सर नीचा ही रह गया| इसी लिए कहते हैं की घमंडी का सर नीचा|