बहुत समय पहले की बात है| किसी गांव में एक किसान रहता था| गांव में ही खेती का काम करके अपना और अपने परिवार का पेट पलता था| किसान अपने खेतों में बहुत मेहनत से काम करता था, परन्तु इसमें उसे कभी लाभ नहीं होता था| एक दिन दोपहर में धूप से पीड़ित होकर वह अपने खेत के पास एक पेड़ की छाया में आराम कर रहा था| सहसा उस ने देखा कि एक एक सर्प उसके पास ही बाल्मिक (बांबी) से निकल कर फेन फैलाए बैठा है| किसान आस्तिक और धर्मात्मा प्रकृति का सज्जन व्यक्ति था| उसने विचार किया कि ये नागदेव अवश्य ही मेरे खेत के देवता हैं, मैंने कभी इनकी पूजा नहीं की, लगता है इसी लिए मुझे खेती से लाभ नहीं मिला| यह सोचकर वह बाल्मिक के पास जाकर बोला-"हे क्षेत्ररक्षक नागदेव! मुझे अब तक मालूम नहीं था कि आप यहाँ रहते हैं, इसलिए मैंने कभी आपकी पूजा नहीं की, अब आप मेरी रक्षा करें|" ऐसा कहकर एक कसोरे में दूध लाकर नागदेवता के लिए रखकर वह घर चला गया| प्रात:काल खेत में आने पर उसने देखा कि कसोरे में एक स्वर्ण मुद्रा रखी हुई है| अब किसान प्रतिदिन नागदेवता को दूध पिलाता और बदले में उसे एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त होती| यह क्रम बहुत समय तक चलता रहा| किसान की सामाजिक और आर्थिक हालत बदल गई थी| अब वह धनाड्य हो गया था|
एक दिन किसान को किसी काम से दूसरे गांव जाना था| अत: उसने नित्यप्रति का यह कार्य अपने बेटे को सौंप दिया| किसान का बेटा किसान के बिपरीत लालची और क्रूर स्वभाव का था| वह दूध लेकर गया और सर्प के बाल्मिक के पास रख कर लौट आया| दूसरे दिन जब कसोरालेने गया तो उसने देखाकि उसमें एक स्वर्ण मुद्रा रखी है| उसे देखकर उसके मन में लालच आ गया| उसने सोचा कि इस बाल्मिक में बहुत सी स्वर्णमुद्राएँ हैं और यह सर्प उसका रक्षक है| यदि में इस सर्प को मार कर बाल्मिक खोदूं तो मुझे सारी स्वर्णमुद्राएँ एकसाथ मिल जाएंगी| यह सोचकर उसने सर्प पर प्रहार किया, परन्तु भाग्यवस सर्प बच गया एवं क्रोधित हो अपने विषैले दांतों से उसने उसे काट लिया| इस प्रकार किसान बेटे की लोभवस मृतु हो गई| इसी लिए कहते हैं कि लोभ करना ठीक नहीं है|
bahut hi sarthak avam yatharth purn abhivykti .
ReplyDeletebilkuk sahi kaha aapne -----adhik lobh hi vinaash ka karan banta hai .
bahut hi sixhaprad prastuti
poonam
जय हो, सांप की, लालच बुरी बला,
ReplyDeletebahut jaldi bahut kuchh pa jane ka lobh aisa hi karata hai.bahut achchhi v prerak laghu katha.
ReplyDeleteलोभ पाप का मूल है.
ReplyDeleteलोभ की कहानियां तो बहुत हैं,यह उनमें से एक छोटी और बढ़िया कहानी है.
ReplyDeleteमुश्किल यही है कि हम इनसे सीख नहीं पाते !
प्रेरक कहानी।
ReplyDeleteआभार।
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गुडिया रानी हुई सयानी..
सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
लोभ उचित नहीं, विनाश हो जाता है।
ReplyDeleteकहते है संतोष सबसे बड़ा धन है , इसीलिए लोभ नहीं करना चाहिए ! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteप्रेरक कहानी।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletePatali-The-Villageजी बहुत सुन्दर कहानी
ReplyDeleteश्रेष्ठ बाल कथा.
ReplyDeleteसच ही कगा गया है लोभ विनाश का कारण होता है।
ReplyDeleteलोभ का संवरण भी तो आसान नहीं...
ReplyDeleteलोभ का अंत ऐसा ही होता है...सुन्दर रचना...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,
ReplyDelete- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुंदर ...सीख देती कथा
ReplyDeleteमम्मा भी ये हमेशा बताती है बहुत अच्छी कहानी!
ReplyDeleteलालच बुरी बला है...
ReplyDeleteलालच बुरी बला.
ReplyDeleteअच्छी सीख देती कहानी ....
ReplyDeletebachpan ki yaad taja kara gayee aap ki kahani es blog par aakar bachpan ji lete hai.
ReplyDeletelaalch buri bala hai ,achchhi kahani
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