बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे| जंगल के बीच में एक बहुत बड़ा तालाब था जहाँ से जानवर पानी पीते थे| इस तालाब के किनारे पर एक पपीते का बहुत ऊँचा पेड़ था उस पर बहुत बड़े बड़े पपीते लगते थे| एक बार कुछ खरगोश पानी पी कर तालाब के किनारे पर खेल रहे थे| एक पका हुआ बड़ा सा पपीता टूट कर पानी में गिर गया जिस से बहुत जोर की आवाज आई "गडम" करके| गडम की आवाज सुन कर खरगोश डर गए और भाग निकले| खरगोशों को भागते हुए देख कर एक लोमड़ी ने पूछा "क्यों भाई क्या बात है क्यों भाग रहे हो" खरगोश ने कहा गडम आ रहा है भागो| लोमड़ी भी उनके साथ भाग ली| आगे चल कर उनको एक हाथियों का झुण्ड मिला| एक हाथी ने पूछा "क्यों भाग रहे हो तो उत्तर मिला गडम आ रहा है भागो| हाथी भी साथ भागने लगे| धीरे धीरे गडम आ रहा है सुन कर बहुत सारे जानवर एकसाथ भागने लगे| यह जानवरों का झुण्ड जब बब्बर शेर की मांद के पास से दौड़ रहा था तो शेर ने पूछा क्यों भाग रहे हो| उत्तर मिला गडम आ रहा है भागो|जैसे ही एक शेर भागने को तयार हो रहा था तो दूसरे शेर ने कहा तुम क्यों भाग रहे हो तुम तो जंगल के राजा हो| तुम्हारे पास शक्तिशाली पंजे हैं तुम जिसे चाहो अपने पंजों से चीर सकते हो| भागने से पहले सच्चाई तो जानलें| इस पर शेर ने एक जानवर से पूछा कि तुम्हें किसने कहा कि गडम आरहा है तो उसने कहा मुझे तो हाथी ने कहा| हाथी से पूछा तो उसने कहा मुझे तो लोमड़ी ने कहा| लोमड़ी ने कहा मुझे तो खरगोश ने कहा था| जब खरगोश से पूछा तो उसने कहा हम जहाँ पर खेल रहे थे वहां पर गडम की आवाज आई थी जिस को सुन कर हम भागे थे| शेर ने कहा मुझे उस स्थान पर ले चलो| सभी उस स्थान की ओर चल पड़े| जैसे ही सभी जानवर तालाब के किनारे पर पहुंचे एक बड़ा सारा पपीता टूट कर पानी में गिर गया और बहुत जोर से गडम की आवाज आई| शेर ने कहा यह तो पानी की आवाज है जो पपीते के गिरने से हुई| खरगोश ने कहा हम तो यही आवाज सुनकरकर ही डर के मारे भागे थे| तब शेर ने समझाया कि इसमें डरने की कोई बात नहीं है| यह सब सुनी सुनाई बात से हुआ है| शेर ने कहा आगे से कभी भी सुनी सुनाई बात पर विश्वास मत करना|
मजा आया गडम के डर के बारे में जान कर, बिल्कुल टपके के जैसा डर बना था,
ReplyDeleteसच बात है, सुनी सुनी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिये।
ReplyDeleteइसी तरह भूत-प्रेत भी होते हैं...जब सामना करने पर उतर आओ तो गायब हो जाते हैं...
ReplyDeletebahut prerak gyan deti laghu katha.aabhar.
ReplyDeleteमुझे तो इस तरह की कहानियां सुनने में बड़ा आनंद आता है। प्रेरक बातें जो होती हैं इनमें।
ReplyDeleteबचपन में सुनी कहानियों को फिर से सुना कर बचपन लौटा रहे हैं.बड़ा ही अच्छा लग रहा है.
ReplyDeleteवाकई सुनी सुनाई बात पर विश्वास बात पर विश्वास नहीं करना चाहिए.
ReplyDeleteसही बात ....प्यारी कहानी....
ReplyDeleteअच्छी शिक्षा...
ReplyDeleteबहुत अर्थपूर्ण कहानी....
ReplyDeleteफिर से बचपन की याद आ गई
ReplyDeleteअन्धानुकरण हमेशा ही अनुचित होता है ! सही आपकी कहानी !
ReplyDeletesach kaha soch samjhkar kaam karna chahiye ,sundar katha .
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