एक गांव में एक किसान रहता था| किसान के चार बेटे थे| किसान अपने बेटों से बहुत दुखी था| उसके चारों बेटे निक्कमे और निखट्टू थे| हमेशा आपस में लड़ते झगड़ते रहते थे| किसान को इस बात का बहुत दुःख था कि मेरे मरने के बाद मेरे बेटों का क्या बनेगा कैसे खाएंगे|
एक दिन किसान बीमार पड़ गया| उसने अपने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और कभी भी आपस में न लड़ने की नसीहत देनी चाही| उसने अपने बेटों से एक लकड़ी का गट्ठा मगवाया| फिर बारी बारी से गट्ठे को तोड़ने के लिए कहा परन्तु चारों में से कोई भी उस गट्ठे को नहीं तोड़ पाया| फिर किसान ने सभी लकड़ियों को अलग अलग करने को कहा| अलग अलग करने के बाद चारों को एक एक लकड़ी तोड़ने को कहा| चारों ने लकड़ी आराम से तोड़ दी| इस पर किसान ने कहा जिस तरह तुम लकड़ी के गट्ठे को पूरा जोर लगाने के बाद भी नहीं तोड़ सके, पर जब वह अलग अलग कर दी तो तुमने आसानी से तोड़ दी, उसी तरह अगर तुम साथ रहो तो कोई भी तुम्हारा बाल तक बांका नहीं कर सकता है| और अगर तुम अलग अलग रहे, लड़ते झगड़ते रहे तो कोई भी तुम्हें आसानी से हरा सकता है|
किसान के बेटों की समझ में यह बात आगई और उन्हों ने आपस में कभी न लड़ने की कसम खाली| इसी लिए कहते हैं कि एकता में बल है|
बिलकुल सही ...एकता में ही बल हैं हमने बचपन में ये कहानी सुनी थी
ReplyDeleteEkta mein he bal hae
DeleteHa Ekta mein he Bal harbour
DeleteHaha����
DeleteAttached
Delete97http://dl.flipkart.com/dl/daylfonos-bullet-single-hunter-jet-flame-cigarette-cigar-pocket-lighter/p/itmff6y4buteypuf?pid=PLTFGH3GJGZ2CJMH&cmpid=product.share.pp
is kahani ne bachpan ki yaad dila di.bade bujurg sunaya karte the.bahut prerna dayak kahani hai.post karne ke liye shukriya.
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति ,एकता में सबकुछ है
ReplyDeleteएकता में ही बल होता है
ReplyDeleteबिलकुल, सही कहा आपने।
ReplyDelete------
TOP HINDI BLOGS !
बचपन में पढ़ी चीज़ें दोबारा पढ़ने में फिर अच्छी लगती हैं
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया कहानी
ReplyDeleteआप एक मिशन के तहत दादी मां की कहानियां सुना रहीं हैं। भगवान आपको आपके मिशन में सफलता दे, और जिस लक्ष्य को आप दादी मां की कहानियों से अवगत कराना चाह रहीं हैं, वो इसे पढ़े, गुने, और सद्गुण को प्राप्त करे।
ReplyDeleteयह कहानी भी बहुत प्रेरक है, और हमें नैतिक शिक्षा देती है।
बहुत सुंदर...सच है एकता में बल है...
ReplyDeletebachpan ki yad dila dee aapne.bahut bar padhi ye kahani jab jab yad aati hai tab tab ekta ka mahtva pata chal jata hai jo ham aaj ki vyast zindgi me bhoolte ja rahe hain.aabhar.
ReplyDeleteबिलकुल सही जी ! एकता में बल है !
ReplyDeleteसंघे शक्ति कलियुगे।
ReplyDeleteसही....एकता में ही बल होता है
ReplyDeleteएकता के सर्व ज्ञात सिद्धान्त को फिर से याद दिलाती इस कहानी को प्रस्तुत करने के लिए आभार शर्मा जी| ये सफर जारी रहे|
ReplyDeleteकुण्डलिया छन्द - सरोकारों के सौदे
अपने बचपन से ये कहानी सुनते आ रहे है अब अपने बच्चो को सुनने का समय आ गया है और बड़ो को भी जो इस कहानी को भूलते जा रहे है |
ReplyDeletebahut sundar kahani... bachpan me suni thee ... bahut upyogi jiwan me ...aapka dhanyvaad
ReplyDeleteYeh kahani maine apne pc me dekhi thi .. daadi ma ki kahaniya ke naam se ek folder tha..usme
ReplyDeleteKa kar raha hai
ReplyDeleteIs kahani ko pahle shun chuka hoo
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteDadi maa ke hi kahani mein takat hai
ReplyDeleteEkta Mein bal hai
ReplyDeleteSuper
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteYes bilkul sahi
ReplyDeleteबिल्कुल सही। 👍👍
ReplyDeleteVery helpful
ReplyDeleteGreat article, Thanks for sharing this. Find list of best schools in Jaipur for your child with seek my school.
ReplyDelete