किसी गांव में एक किसान रहता था| किसान बहुत मेहनती था| उसके खेतों में बहुत अच्छी फसल हुआ करती थी| किसान के खेत के पास ही एक जलाशय भी था| जिसके किनारे बहुत सारे बगुले भी रहा करते थे| बगुले किसान की फसल को काफी नुकसान पहुँचाया करते थे| एक दिन किसान ने बगुलों को पकड़ने के लिए अपने खेत में जाल बिछा दिया| कुछ समाय बाद आकर देखा तो, बहुत सारे बगुले जाल में फंसे हुए थे| इस जाल में एक सारस भी फंसा हुआ था| सारस ने किसान से कहा- किसान भाई में बगुला नहीं हूँ मैं ने तुम्हारी फसल बर्बाद नहीं की है| मुझे छोड़ दो| तुम विचार करके देखो कि मेरी कोई गलती नहीं है| जितने भी पक्षी है, मैं उन सब कि अपेक्षा अधिक धर्म-पारायण हूँ| मैं कभी किसी का नुकसान नहीं करता| मैं अपने बृद्ध माता-पिता का अतीव सम्मान करता हूँ और विभिन्न स्थानों में जाकर प्राण-पण से उनका पालन-पोषण करता हूँ|
इस पर किसान बोला- सुनो सारस, तुमने जो बातें कहीं, वे सब ठीक हैं,उनपर मुझे जरा भी संदेह नहीं है| परन्तु तुम फसल बर्बाद करने वालों के साथ पकडे गए हो, इसलिए तुम्हें भी उन्हीं लोगों के साथ सजा भोगनी होगी| इसी लिए कहते हैं कि कुसंगत का फल बुरा होता है|
इस पर किसान बोला- सुनो सारस, तुमने जो बातें कहीं, वे सब ठीक हैं,उनपर मुझे जरा भी संदेह नहीं है| परन्तु तुम फसल बर्बाद करने वालों के साथ पकडे गए हो, इसलिए तुम्हें भी उन्हीं लोगों के साथ सजा भोगनी होगी| इसी लिए कहते हैं कि कुसंगत का फल बुरा होता है|
बुरे संगत में जो रहते हैं उन्हें इसका फल तो भोगना ही पड़ता है।
ReplyDeleteप्रेरक कथा।
मैं पहली बार आपके ब्लॉग पर आई और मुझे बहुत-बहुत अच्छा लगा... मुझे कहानियाँ बहुत पसंद हैं और खूब पढ़ती हूँ... इनमें से कुछ कहानियाँ मैंने माँ से सुनी हैं, कुछ कहीं-कहीं पढ़ी हैं और कुछ आज पहली बार पढ़ी, बहुत मज़ा आया...मुझे खुशी है कि मुझे कहानियाँ पढ़ने का एक और माध्यम मिल गया... थैंक्यू!!!
ReplyDeleteburae ka sangath bura hotha hai, tum aacha magar angath bura na
ReplyDeleteसच में कुसंगत बहुत बुरी होती है।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी नसीहत मिलती है कथा से ....
ReplyDeleteइसलिये सावधान करता हूँ कि 'कांग्रेस' से और कांग्रेसियों से दूरी बनाकर रखना .. .आप कितने भी सज्जन हों लेकिन दूसरे यही समझेंगे कि जरूर बैंक (दाल) में काला है....
bahut achchi shiksha deti hui kahani achchi lagi.
ReplyDeleteसदाबहार कहानी....इसीलिए अच्छी संगत करनी चाहिए !
ReplyDeleteगेंहू के साथ घुन पिसता ही है
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती कहानियों का क्रम जारी रखने हेतु साधुवाद
बहुत ही अच्छी प्रेरणा देती हुए सार्थक पोस्ट
ReplyDeleteहमेशा की तरह अच्छी कहानी बहुत ही सार्थक पोस्ट!!
ReplyDeleteगलत संग से बच के रहना चाहिए...
ReplyDeleteगलत संगत का फल हमेशा बुरा होता है..सार्थक सन्देश देती रोचक कथा..
ReplyDeleteकबीरा संगत साधु की , हरे और की व्याधि |
ReplyDeleteसंगत बुरी असाधु की , करे और ही व्याधि ||
:) सही..
ReplyDeletemujhe pasand hai aap ki kahaniya
ReplyDelete