किसी शहर में एक मदारी रहता था| मदारी के पास एक बंदरी और एक रीछ थे| मदारी सारा दिन बंदरी और रीछ को नचाकर लोगों का मनोरंजन करता था, उस से जो कुछ भी मिलता उस से अपना और बंदरी और रीछ का पेट पलता था| एकबार मदारी को किसी काम से बाहर जाना पड़ा| मदारी बंदरी और रीछ को घर में छोड़ गया| बाहर जाते समय मदारी अपने लिए एक बर्तन में दही ज़माने को रख गया| मदारी के जाने के बाद कुछ देर में बंदरी को भूख लग गई| रीछ तो बेचारा चुपचाप सो गया| बंदरी ने चुपचाप मदारी का जमाया हुआ दही खालिया और थोडा सा दही सोए पड़े रीछ के मुंह पर लगा दिया| जब मदारी वापस आया तो उसने रोटी खाने के लिए दही देखा तो दही वाला बर्तन खाली था| उसने देखा कि रीछ के मुंह पर दही लगा हुआ था| मदारी ने आव देखा ना ताव देखा डंडा लेकर रीछ को पीटडाला | बंदरी चुपचाप बैठ कर तमासा देख रही थी| रीछ बेचारे को मुफ्त में मार पड़ गई| खा पी बंदरी गयी| तभी से यह कहावत बनी है कि खाने पीने को बंदरी डंडे खाने को रीछ|
जीवन में यही होता है।
ReplyDeleteएक बहुत अच्छी कहानी, अच्छी सीख देती हुई...
ReplyDeleteएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ.
ReplyDeleteअसल जिंदगी में भी कभी -कभी ऐसा हो जाता है .....
ReplyDeleteha ha ha ha
ReplyDeletetabhi to kehta hu hosiyar bano
bahut achchi kahani.
ReplyDeleteSach ...yah bhi hota hai kai baar....
ReplyDeleteदुनिया ऐसे कुटिल लोगों से भरी पड़ी है...पर सोचिये अगर बंदरी डंडे से पिटती तो क्या वो उठ पाती...बुरे लोगों के पापों को भी बिना बोले सहने के लिए रीछ जैसी सहनशक्ति चाहिए...
ReplyDeleteठीक ही कहते है - चालक व्यक्ति हमेशा आगे निकल जाते है !
ReplyDeleteहमेशा की तरह एक बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति. बहुत ही बढ़िया कहानी,
ReplyDeleteयथार्थ और रोचक।
ReplyDeleteसुंदर व रोचक कहानी .यथार्थ में भी यही होता है.करे कोई-भरे कोई.
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ReplyDeleteऐसे लोगो को चतुर नही घातक कहते है ऐसे लोग भउत खतर्नाक होते हैं हमको चहइयि की ऐसे चालाकी से बचे कहआनी मे अछी सीख है
ReplyDeleteऐसे लोगो को चतुर नही घातक कहते है ऐसे लोग भउत खतर्नाक होते हैं हमको चहइयि की ऐसे चालाकी से बचे कहआनी मे अछी सीख है
No doubt, its a kind of story that teach us not to punish anybody until the guilty is identified. That may be the reason which makes our Jury to take time to punish a guilty.
ReplyDeleteNo doubt, its a kind of story that teach us not to punish anybody until the guilty is identified. That may be the reason which makes our Jury to take time to punish a guilty.
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