बहुत समय पहले की बात है| एक राजा थे और उनके साथ एक मंत्री थे| उनके मंत्री की आदत थी कि वह कुछ भी होता कहते थे "जो हुआ ठीक हुआ"|एकबार मंत्री का बेटा खेल रहा था, खेलते खेलते वह नीचे गिर पड़ा उसके पैर में चोट लग गई तो मंत्री ने कहा "जो हुआ अच्छा हुआ"|राजा को यह सुन कर हैरानी हुई पर राजा ने कुछ नहीं कहा|
कुछ समय बाद राजा तलवार बाजी का अभ्यास कर रहे थे|अचानक तलवार से राजा की एक अंगुल कट गई, बहुत जोर से खून बहने लग गया| आदत वस मंत्री ने फिर कह दिया "जो हुआ अच्छा हुआ"|राजा को यह सुन कर बहुत गस्सा आया, उन्होंने अपने सैनिकों को हुक्म दिया कि मंत्री को कैद कर के जेल भेज दिया जाए| सैनिकों ने मंत्री को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया|
कुछ समय बाद एक दिन राजा शिकार खेलने अकेले जंगल में चले गए वहां वे रास्ता भटक गए| भटकते हुए वे एक आदिवासी इलाके में पहुँच गए| आदि वासियों ने राजा को बंदी बना लिया|वे अपने देवता को खुश करने के लिए नरबली देना चाहते थे| राजा की बलि देने के लिए जैसे ही तलवार उठाई एक ने देखा कि राजा की एक अंगुली कटी हुई है|अंगभंग व्यक्ति की बलि नहीं दीजाती है|उन्हों ने राजा को छोड़ दिया राजा भटकते हुए अपने महल में आगये| महल में पहुंचते ही उन्हों ने मंत्री को हाजिर करने का हुक्म दिया| मंत्री के हाजिर होने पर राजा ने सारी आप बीती सुनाई और कहा "जो हुआ अच्छा हुआ"| मेरे लिए तो यह ठीक ही हुआ, पर आप को जो बेकसूर जेल जाना पड़ा उसके बारे में क्या विचार है| मंत्री ने जवाब दिया "जो हुआ अच्छा हुआ"| अगर मुझे जेल में बंद नकिया होता तो आप मुझे भी शिकार पर साथ लेके जाते और आदिवासी आप को छोड़ कर मेरी बलि देदेते|इस लिए जो हुआ अच्छा हुआ|
कुछ समय बाद राजा तलवार बाजी का अभ्यास कर रहे थे|अचानक तलवार से राजा की एक अंगुल कट गई, बहुत जोर से खून बहने लग गया| आदत वस मंत्री ने फिर कह दिया "जो हुआ अच्छा हुआ"|राजा को यह सुन कर बहुत गस्सा आया, उन्होंने अपने सैनिकों को हुक्म दिया कि मंत्री को कैद कर के जेल भेज दिया जाए| सैनिकों ने मंत्री को पकड़ कर जेल में बंद कर दिया|
कुछ समय बाद एक दिन राजा शिकार खेलने अकेले जंगल में चले गए वहां वे रास्ता भटक गए| भटकते हुए वे एक आदिवासी इलाके में पहुँच गए| आदि वासियों ने राजा को बंदी बना लिया|वे अपने देवता को खुश करने के लिए नरबली देना चाहते थे| राजा की बलि देने के लिए जैसे ही तलवार उठाई एक ने देखा कि राजा की एक अंगुली कटी हुई है|अंगभंग व्यक्ति की बलि नहीं दीजाती है|उन्हों ने राजा को छोड़ दिया राजा भटकते हुए अपने महल में आगये| महल में पहुंचते ही उन्हों ने मंत्री को हाजिर करने का हुक्म दिया| मंत्री के हाजिर होने पर राजा ने सारी आप बीती सुनाई और कहा "जो हुआ अच्छा हुआ"| मेरे लिए तो यह ठीक ही हुआ, पर आप को जो बेकसूर जेल जाना पड़ा उसके बारे में क्या विचार है| मंत्री ने जवाब दिया "जो हुआ अच्छा हुआ"| अगर मुझे जेल में बंद नकिया होता तो आप मुझे भी शिकार पर साथ लेके जाते और आदिवासी आप को छोड़ कर मेरी बलि देदेते|इस लिए जो हुआ अच्छा हुआ|
बाद में जाकर देखने से लगता है कि जो हुआ, ठीक है।
ReplyDeleteबिलकुल सही बात... जो कुछ भी हमारे साथ घटित होता है उसमें ईश्वर की मर्ज़ी शामिल होती है और भगवान हमारे साथ कुछ भी गलत तो कर ही नहीं सकते... और ये सोच हमें तकलीफों को सहने की शक्ति भी देती है.... बहुत अच्छी शिक्षाप्रद कहानी...धन्यवाद!!!
ReplyDeletebahut achchi kahani hai padhi to achcha hi hua subah subah hoton par muskaan aa gai.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर शिक्षाप्रद कथा....
ReplyDeleteप्रेरक, शिक्षाप्रद कथा।
ReplyDeleteचलो ....जो हुआ अच्छा हुआ
ReplyDeleteबहुत अच्छी कहानी....
ReplyDeleteकई बार सोच सकरात्मक होनी चाहिए व्यक्ति बुरी से बुरी स्थिति में भी अच्छी बात निकाल ही लेता है कितनो ने अपनी कमजोरी को ही अपनी मजबूती बना लिया है इसी तरह से की जो होता है अच्छे के लिए ही होता है |
ReplyDeleteबहुत सुंदर! ये कहानी हमने भी सुनी थी अपनी दादी माँ से!!
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया कहानी,
ReplyDeleteपूरा गीता का ज्ञान है...
ReplyDeleteइस प्रकार मै भी सत - प्रतिसत विश्वास करता हूँ ! जो हुआ अच्छा हुआ !
ReplyDeletejo hua theek hua,jo hoga theek hogajo hua theek hua,jo hoga theek hoga
ReplyDeleteरोचक कथा...
ReplyDeleteBhut he acha....shikchaprad h
ReplyDeleteBhai ye kahani Ka lekhak kon jai
ReplyDeletePar mere saath hamesha Bura Kyun hota hai.mai kabhi kisi ka Bura nahi karta
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