बहुत समय पहले की बात है| किसी जंगल में एक गाय रहती थी| जो जंगल में घास चर कर अपना पेट भरती थी| इसी जंगल में एक शेर भी रहता था जो जंगली जानवरों का शिकार किया करता था| समय आने पर गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया| बछड़े को जंगली जानवरों से बचाने के लिए गाय ने एक सुरक्षित जगह ढूढ़ ली| गाय सुबह अपने बछड़े को दूध पिला कर इस सुरक्षित जगह पर बैठा जाती, आप जंगल में घास चरने चली जाया करती थी| बछड़ा सारा दिन वहीँ बैठा रहता और खेलता रहता था| शाम को गाय आकर उसे दूध पिलाती और बहुत सारा प्यार देती थी| बड़े मजे से गाय और बछड़े के दिन बीत रहे थे|एक दिनजब गाय शाम को जंगल से घास चर के वापस आरही थी तो उसे एक पेड़ के नीचे शेर बैठा हुआ दिखाई दिया| गाय कुछ सोचती इस से पहले शेर ने गाय को देख लिया और अपने पास बुला लिया| गाय डरती हुई शेर के पास गई तो शेर ने कहा "मैं भूखा हूँ तुम्हें खाना चाहता हूँ"| गाय ने गिडगिडाते हुए कहा "मुझे कोई इतराज नहीं है आप मुझे खा सकते हैं लिकिन मेरी एक बिनती है कि मेरा बछड़ा सुबह से भूखा है पहले में उसे दूध पिला आऊं फिर आप मुझे मार कर खा लेना"|शेर ने कहा "तुम भाग जाओगी दुबारा यहाँ नहीं आओगी इस लिए अभी खता हूँ"| गाय ने कहा "मैं वादा करती हूँ कि बछड़े को दूध पिला कर मैं जरुर वापस आ जाउंगी"| शेर ने कहा " ठीक है जाओ और जल्दी ही वापस आ जाओ"| गाय अपने बछड़े के पास गई उसको दूध पिलाया और बहुत सारा प्यार किया|गाय की आँखें भर आई| गाय आंसू पोछते हुए शेर के पास लौट आई| शेर से कहा "अब आप मुझे खा सकते हैं"| गाय के इस भोले पन को देख कर शेर को दया आगई| शेर ने गाय से कहा मैंने तुम्हें जीवन दान दिया जाओ जाकर अपने बछड़े को दूध पिलाओ और बहुत सारा प्यार दो|गाय ख़ुशी ख़ुशी अपने बछड़े के पास आगई और दोनों आराम से रहने लगे|
Sunday, September 11, 2011
भोली गाय
बहुत समय पहले की बात है| किसी जंगल में एक गाय रहती थी| जो जंगल में घास चर कर अपना पेट भरती थी| इसी जंगल में एक शेर भी रहता था जो जंगली जानवरों का शिकार किया करता था| समय आने पर गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया| बछड़े को जंगली जानवरों से बचाने के लिए गाय ने एक सुरक्षित जगह ढूढ़ ली| गाय सुबह अपने बछड़े को दूध पिला कर इस सुरक्षित जगह पर बैठा जाती, आप जंगल में घास चरने चली जाया करती थी| बछड़ा सारा दिन वहीँ बैठा रहता और खेलता रहता था| शाम को गाय आकर उसे दूध पिलाती और बहुत सारा प्यार देती थी| बड़े मजे से गाय और बछड़े के दिन बीत रहे थे|एक दिनजब गाय शाम को जंगल से घास चर के वापस आरही थी तो उसे एक पेड़ के नीचे शेर बैठा हुआ दिखाई दिया| गाय कुछ सोचती इस से पहले शेर ने गाय को देख लिया और अपने पास बुला लिया| गाय डरती हुई शेर के पास गई तो शेर ने कहा "मैं भूखा हूँ तुम्हें खाना चाहता हूँ"| गाय ने गिडगिडाते हुए कहा "मुझे कोई इतराज नहीं है आप मुझे खा सकते हैं लिकिन मेरी एक बिनती है कि मेरा बछड़ा सुबह से भूखा है पहले में उसे दूध पिला आऊं फिर आप मुझे मार कर खा लेना"|शेर ने कहा "तुम भाग जाओगी दुबारा यहाँ नहीं आओगी इस लिए अभी खता हूँ"| गाय ने कहा "मैं वादा करती हूँ कि बछड़े को दूध पिला कर मैं जरुर वापस आ जाउंगी"| शेर ने कहा " ठीक है जाओ और जल्दी ही वापस आ जाओ"| गाय अपने बछड़े के पास गई उसको दूध पिलाया और बहुत सारा प्यार किया|गाय की आँखें भर आई| गाय आंसू पोछते हुए शेर के पास लौट आई| शेर से कहा "अब आप मुझे खा सकते हैं"| गाय के इस भोले पन को देख कर शेर को दया आगई| शेर ने गाय से कहा मैंने तुम्हें जीवन दान दिया जाओ जाकर अपने बछड़े को दूध पिलाओ और बहुत सारा प्यार दो|गाय ख़ुशी ख़ुशी अपने बछड़े के पास आगई और दोनों आराम से रहने लगे|
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अभी हाल में ही ये कहानी बच्चो के चैनल पर आ रहे कृष्ण में देखी थी उसमे अंत में दिखाया गया की गाय के बाद उसका बच्चा भी वहा आ गया और शेर को माँ को छोड़ खुद को खाने को कहने लगा फिर उसके बाद वहा गाय का बुढा मालिक भी आ गया और वो शेर से उन दोनों को छोड़ उसे खा लेने को कहना लगा |
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा प्रस्तुती
ReplyDeleteअपने ब्लाग् को जोड़े यहां से 1 ब्लॉग सबका
बहुत अच्छी लगी ये कहानी... लेकिन क्या शेर सचमुच इतना दयालू होता है...?
ReplyDeleteबचपन मे सुनी थी, तब भी मन भर आया था।
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती हुई कहानी ......बचपन में भी सुनी थी
ReplyDeleteआपके कलेक्शन के खजाने से हम तो लाभान्वित हो रहे हैं।
ReplyDeleteएक श्रेष्ठ नीति कथा... अच्छी सोच की कथाओं से बच्चों के मन पर मूल्यपरक प्रभाव पड़ता है.... मुझे आपकी कथा प्रस्तुति बहुत भाती है.
ReplyDeleteसुन्दर कहानी...
ReplyDeleteकहानी पसंद आई!
ReplyDeleteआखिर,शेर के भी बच्चे होते हैं।
ReplyDeleteसच्चाई के सामने निष्ठुर भी पिघल जाते हैं.प्रेरक कहानी.
ReplyDeleteठीक ही कहा गया है की शैतान भी कभी - कभी दुसरे की ईमानदारी के आगे नतमस्तक हो जाते है ! ठीक वही हुआ ! सुन्दर कहानी !
ReplyDeleteबिना क़ानून वाले देश की यही व्यथा है...शरीफ और निरीह लोग दबंगों के रहम-ओ-करम पर जिन्दा हैं...
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