एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे| जानवरों की आपस में दोस्ती भी थी|वहां एक कुत्ता और एक मुर्गा भी रहते थे| कुत्ते और मुर्गे की आपस में दोस्ती हो गयी| दोनों एक साथ घूमा फिरा करते थे| एक बार दोनों घूमते घूमते काफी दूर घने जंगल में चले गए|वहां उनको रात हो गयी| रात बिताने के लिए मुर्गा एक पेड़ की शाखा पर चढ़ गया और कुत्ता उसी पेड़ के नीचे सो गया| जब सुबह होने को आई, तो मुर्गे ने अपने स्वभाव के मुताबिक जोर जोर से बांग देनी शुरु कर दी| मुर्गे की आवाज सुन कर एक सियार मन ही मन सोचने लगा "आज कोई उपाय कर के इस मुर्गे को मार कर खा जाउंगा'| ऐसा निश्चय कर के धूर्त सियार पेड़ के पास जाकर मुर्गे को संबोधित करते हुए बोला - भाई! तुम कितने भोले हो, सब का कितना उपकार करते हो| में तुम्हारी आवाज सुन कर अति प्रसन्न हो कर आया हूँ| पेड़ की शाखा से नीचे उतर आओ, हम दोनों मिलकर थोडा आमोद प्रमोद करेंगे| मुर्गा उसकी चालाकी को समझ गया| मुर्गे ने उसकी धूर्तता का फल देने के लिए कहा-भाई सियार ! तुम पेड़ के नीचे आकर थोड़ी देर प्रतीक्षा करो, में उतर कर नीचे आता हूँ| यह सुन कर सियार अति प्रसन्न हुआ और आनंद पूर्वक उस पेड़ के नीचे आया, तभी कुत्ते ने उसपर आक्रमण कर दिया, कुत्ते ने अपने नखों-दांतों से प्रहार कर के उसे मार डाला| इस तरह कुत्ते ने मुर्गे की जान बचा ली| इस लिए कहते हैं कि जो दूसरे के लिए गढ्ढा खोदता है स्वयं ही गढ्ढे में गिर जाता है|
Saturday, September 25, 2010
Friday, September 10, 2010
"जान बची लाखों पाए- लौट के बुद्धू घर को आए"|
एक जंगल मे एक शेर रहता था| उसी जंगल मे एक सूअर परिवार भी रहता था| सूअर परिवार अपने खाली समय में जंगल में बने एक तालाब के कीचड़ में लोट पोट होता रहता था| सूअर के बच्चे तालाब के कीचड़ मे उछल कूद करते रहते थे| एक दिन शेर ने एक जानवर को मार कर खा लिया| खाने के बाद उसे पानी की प्यास लग आई| शेर उसी तालाब की ओर चला गया जहाँ सूअर का परिवार कीचड़ मे नहाता था| उस समय वहां सूअर का एक बच्चा अकेले ही उछल कूद रहा था|शेर को वहां आता देख कर वह एक जगह डर के मरे दुबक कर बैठ गया| शेर जैसे ही पानी पीने को झुका उसको इस में से बदबू आने लगी | उसने सोचा की छि: इस में से तो बदबू आ रही है मैं इस पानी को नहीं पिउगा| वह किसी दूसरे तालाब में जाने को मुड़ा तो सूअर के बच्चे ने सोचा कि शेर मेरे से डर गया है| इस लिए बिना पानी पिए ही जारहा है| सूअर के बच्चे ने सीना तान के शेर को लड़ाई के लिए ललकार दिया| शेर का पेट भरा हुआ था और शेर को प्प्यास भी लगी थी| शेर ने कहा आज नहीं कल को लड़ेंगे| यह कहकर आगे को चल दिया| सूअर का बच्चा अपने परिवार में जाकर बड़ी बड़ी डींगें हांकने लगा कि मैंने आज शेर को लड़ाई के लिए ललकारा था |वह डर के मारे कल लडूंगा कह कर चला गया| यह बात सुन कर सूअर परिवार बहुत चिंतित हुआ| बच्चे से कहा कि तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है| अब शेर तुम्हें छोड़ेगा नहीं| एक बूढ़े सूअर ने कहा कि कल को तुम शेर से लड़ने जरुर जाना नहीं तो वह यहाँ आकर सब को मार खाएगा| बूढ़े सूअर ने कहा जैसा मैं कहूँ वैसा ही करना| बूढ़े सूअर ने बताया कि कल जब तुम शेर के पास जाओगे तो खूब कीचड़ और गोबर को अपने शरीर पर मल कर जाना ताकि तुम्हारे शरीर से खूब सारी बदबू आए| सूअर के बच्चे ने ऐसा ही किया जब शेर के पास जाने लगा तो रास्ते में जो भी गोबर कीचड़ मिला उसको अपने शरीर पर मल लिया| जब वह डरता डरता तालाब के पास पहुंचा तो शेर उसका इंतजार कर रहा था| वह डरता डरता शेर के नजदीक गया तो शेर ने कहा में तेरा ही इंतजार कर रहा था| शेर जैसे ही उसको मारने के लिए आगे बड़ा तो उसको उस में से बदबू आने लगी| शेर ने कहा छि: छी: तुम में से तो बहुत गन्दी बदबू आ रही है में तुम से नहीं लडूंगा| यह कह कर शेर ने अपना मुंह मोड़ लिया| सूअर के बच्चे की जान मे जान आई और दुम दबा कर वहां से भाग खड़ा हुआ| अपने परिवार में जाकर भगवान का शुक्रिया अदा कर कहने लगा "जान बची लाखों पाए- लौट के बुद्धू घर को आए"| के: आर: जोशी. (पाटली)
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