किसी जंगल में एक घोडा रहता था| जहाँ पर घोडा रहता था वहां बहुत सारी हरी हरी घास उगी हुई थी| यह घास बहुत स्वादी और रसीली थी| घोडा यह घास बहुत चाव से खाता था| घोड़े की जिंदगी आराम से बीत रही थी| एक दिन वहां एक हाथी घूमता हुआ आ गया| हाथी को कोमल घास में चलने में बहुत मजा आ रहा था| उसी घास में वह लोटनी खाने लगा| हरी घास को टूटता हुआ देख कर घोडा बहुत दुखी हुआ| हाथी को वह जगह बेहद पसंद आगई थी| इसी कारण से वह कहीं जानेका नाम ही नहीं ले रहा था| घोडा सोचता रहता था कि हाथी को यहाँ से कैसे भगाया जाये|
हाथी का सब से बड़ा शत्रु है शेर! शेर की ही मदद ली जाय तो? पर कहीं वह शेर मुझे ही खा गया तो? उसके बदले मनुष्य की सहायता ली जाय तो कैसा रहेगा| ऐसा सोच कर घोडा मनुष्य के पास गया| उसने मनुष्य को सारी बात बताई कि कैसे हाथी हरी हरी घास को ख़राब कर रहा है| मनुष्य ने कहा सिर्फ हाथी को मारना है| तुम्हारा ये कम में कर दूंगा पर इसके लिए तुम्हें मेरी मदद करनी होगी| अगर हाथी अपनी जान बचाने के लिए भागा तो मुझे उसका पीछा करना पड़ेगा| उसके लिए मुझे तुम्हारी पीठ पर बैठ कर दौड़ना पड़ेगा| घोडा उत्त्साह में बोला अगर हाथी मरता है तो जो तुम कहोगे में करने को तयार हूँ| अब मनुष्य ने घोड़े की सवारी करने के लिए घोड़े की पीठ पर जीन बांधा और मुंह में लगाम डाल दी| फिर उसने अपने धनुष और बाण लिए और घोड़े पर सवार हो गया| घोड़े को टक टक करके भगाया| मनुष्य को घोड़े की पीठ पर बैठ कर चलना बहुत अच्छा लगा| कुछ ही देर में वे दोनों हाथी के पास पहुंचे| हाथी आखें फाड़ फाड़ कर देखने लगा घोड़े की पीठ पर ये नवीन प्राणी कौन है भला| इतने में मनुष्य ने हाथी पर निशाना लगाकर जहरीले बाण चलाने शुरू कर दिए| बाण के लगते ही हाथी यहां वहां भागने लगा| आखिर कार हाथी गिर पड़ा| जहर के कारन हाथी को अपनी जान गवानी पड़ी| घोड़े ने मनुष्य से कहा कि मैं तुम्हारा मन से धन्यवाद करता हूँ| अब तुम नीचे उतरो और यह जीन और लगाम उतार लो| अब मुझे मुक्त कर दो| यह सुनकर मनुष्य जोर जोर से हसने लगा फिर घोड़े से कहा मुक्त होने की आशा तुम हमेसा के लिए छोड़ दो| उसी में भलाई है| उसदिन से घोडा मनुष्य का गुलाम बन गया| इस लिए बिना सोचे समझे किसी पर विस्वास नहीं करना चाहिए| (फोटो गूगल)