एक जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी रहते थे| एक बार एक कुत्ते और एक मुर्गे के बीच काफी प्रेम बढ़ गया| दोनों एक दूसरे की सहायता करते रहते थे| एक दिन दोनों साथ मिल कर जंगल के बीच घूमने गए| घूमते घूमते उन्हें रात हो गयी| रात बिताने के लिए मुर्गा एक वृक्ष की शाख पर चढ़ गया और कुत्ता उसी वृक्ष के निचे लेट गया|
धीरे धीरे भोर होने को आयी| मुर्गे का स्वभाव है कि वह भोर के समय जोर की आवाज में बांग देता है| मुर्गे की बांग देने की आवाज सुन कर एक सियार ने मन ही मन सोचा आज कोई न कोई उपाय कर के इस मुर्गे को मार कर इसका मांस खा जाऊगा| ऐसा निश्चय कर के धूर्त सियार वृक्ष के पास जाकर मुर्गे को संबोधित करते हुए बोला-भाई तुम कितने भले हो; तुम्हारी आवाज कितनी मीठी है, सब का कितना उपकार करते हो| मैं तुम्हारी आवाज सुनकर बहुत प्रशन्न हो कर आया हूँ| वृक्ष से नीचे उतर आओ, हम दोनों मिल कर थोडा आमोद प्रमोद करेंगे|
मुर्गे को सियार की चालाकी समझ में आगई| सियार की चालाकी को समझ कर मुर्गे ने उसकी धूर्तता का मजा चखाने की सोची और कहा-भाई सियार! तुम वृक्ष के निचे आकर थोड़ी देर प्रतीक्षा करो, में उतर रहा हूँ| यह सुन कर सियार ने सोचा, मेरा उपाय काम कर गया है| वह आनंदपूर्वक उस पेड़ के नीचे आगया, वहां कुत्ता पहले ही उसके इंतजार में बैठा हुआ था| जैसे ही सियार वृक्ष के नीचे आया कुत्ते ने उसपर आक्रमण कर दिया और अपने पंजे और दांतों से प्रहार कर के उसे मार डाला| इसी लिए कहते हैं जो दूसरों के लिए गढ्ढा खोदता है स्वयं ही गढ्ढे में गिर जाता है|
बहुत सुन्दर और प्रेरक कहानी..
ReplyDeletemujhe yahan apna bachpan aur apne bachchon ka bachpan mil jata hai
ReplyDeleteबिल्कुल सही...प्रेरणादायी कथा
ReplyDeleteप्रेरक कथा । आभार...
ReplyDeleteसुन्दर संदेश।
ReplyDeleteha wastaw me kai bar aisa hi hota hai | achchi kahani
ReplyDeleteप्रेरणादायी कथा.आभार....
ReplyDeleteसुन्दर और प्रेरक कथा
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी ! बहुत - बहुत धन्यवाद !
ReplyDeleteअच्छी नीति कथा.
ReplyDeleteऔरों का परोपकार करना चाहिए ना की उसको हानि पहुंचानी चाहिए....
ReplyDeleteये कहानियाँ बच्चों को सुनानी चाहिए....
sahi sandesh deti hai kahani
ReplyDeletejo dusron ko haani pahunchaane ki sochta hai usko khud haani pahunchti hai.
aabhaar
जो दूसरों के लिए गढ्ढा खोदता है स्वयं ही गढ्ढे में गिर जाता है .......बिल्कुल सही कहानी है|
ReplyDeleteपंचतन्त्र की बहुत प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद कथा!
ReplyDeletekahani achchhi hai,sandesh behtar hai !
ReplyDeleteबहुत खूब कहा है आपने. बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteअन्तरार्ष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteजय हिंद जय हिंद जय हिंद
Bilkul sahi, bade bude kahte hain upar thooka hua apne upar hi girta hai
ReplyDeletemamma ne ye kahani sunai bahut acchi lagi.....
ReplyDeleteSatya Vachan.
ReplyDelete---------
पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
मुझे छोटी कहानी बहुत पसद है ,मज़ा आ गया
ReplyDeleteपूरी कहानी में गड्ढा कहीं न आने से शीर्षक बड़ा अजीब लग रहा है भतीजे को. कहता है कि शीर्षक होना चाहिए : 'जो दूसरों को शिकार बनाना चाहता है खुद शिकार हो जाता है'.
ReplyDeleteमैंने उसे बताया कि यह नीति कथाएँ ऐसे ही होती हैं. जो सुनाती हैं उसे सुनाकर सबक सिखाती हैं.
इस कहानी का सबक है - 'जो किसी का बुरा चाहता है उसका ही बुरा हो जाता है.' समझे बेटा!
मुझे फिर कोई नई कहानी चाहिए !
ReplyDelete___________________________
सुनामी