Sunday, March 20, 2011

मोर की शिकायत


 किसी जंगल में बहुत  सारे पक्षी रहते थे|  उन में एक मोर भी रहता था| मोर के पंख बहुत सुन्दर थे| एक बार बारिष के समय में मोर अपने पंखों को फैला कर नाच रहा था और इधर उधर दौड़ रहा था| मोर अपने पंखों को देख देख कर बहुत खुश हो रहा था| पर थोड़ी ही देर में  मोर की ख़ुशी बारिष  में धुल गयी| उसने देखा कि सामने एक पेड़ पर एक  बुलबुल गा रही है और उसकी आवाज बहुत मीठी और सुरीली  है| मोर ने भी अपनी आवाज में गाने के लिए अपना मुंह खोला पर मोर की आवाज बहुत भद्दी और कठोर   थी| यह देख कर मोर बहुत उदास  हुआ और  अपना सर नीचे कर के आंशु  बहाने लग गया| मोर सोचने लगा  कि भगवान ने मेरे साथ अन्याय किया है मुझे सुन्दर पंख तो दिए हैं पर सुन्दर आवाज नहीं दी| बाकि पक्षियों को इतनी सुन्दर सुरीली आवाज दे रक्खी है | मोर को आंशु बहाते देख कर एक देवी को दया आ गयी और वह वहां  प्रकट हो गयी और मोर को सांत्वना  देते हुए बोली कि तुम इतने उदास क्यूँ हो रहे हो, भगवान ने तो सब को उनके हिस्से मुताबिक सुन्दरता निर्धारित की है| अगर भगवान ने बुलबुल को मीठी आवाज दी है तो उसके पंख काले हैं| तुम्हारी आवाज कठोर  है तो तुम्हारे  पंख सुन्दर  हैं| देवी की बातों को सुन कर  मोर ने सोचा देवी ठीक ही कह रही है|  और उसके बाद मोर ने उसी में खुश रहना सीख लिया था, जो भगवान ने  मोर के लिए निर्धारित किया था| इसी लिए कहते हैं कि अपने  पास जितना है उसी में संतुष्ट रहना सिखाना चाहिए|







                 

13 comments:

  1. bilkul sahee.....khush rahna sabse jarooree hai....paristhitee chaahe jo bhee ho..
    holee kee shubhkaamnaa...

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  2. jo apna nahin tum uske liye jo apna hai nahin khona...rona kabhi nahin rona...happy holi...

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  3. सच में यह देखना चाहिये कि क्या मिला है।

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  4. कितना सुंदर लिखा है | मुझे ऐसी कहानियाँ इतनी अच्छी लगती है, हमेशा खोज मे रहती हुं | कितना सुंदर अर्थ है |

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  5. दूसरो के गुणों को देख कर दुखी होने से अच्छा है की अपने गुणों से ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाये |

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  6. दूसरो के गुणों को देख कर दुखी होने से अच्छा है की अपने गुणों से ज्यादा से ज्यादा उपयोग किया जाये
    सही है

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  7. इन छोटी छोटी कहानियों में कितना कुछ सीखने को मिलता है..

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  8. कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता।

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  9. आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा अति उत्तम असा लगता है की आपके हर शब्द में कुछ है | जो मन के भीतर तक चला जाता है |
    कभी आप को फुर्सत मिले तो मेरे दरवाजे पे आये और अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाए |
    http://vangaydinesh.blogspot.com/
    धन्यवाद

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  10. अति सुंदर कहानी

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  11. मेरी शिकायत सुनाने के लिए शुक्रिया.

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