Thursday, December 23, 2010

"सारमेय की कथा"

             एक बार महाराजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय अपने तीनों भाइयों के साथ  कुरुक्षेत्र में एक महां यज्ञ कर रहे थे संयोग से उसी समय देवताओं की कुतिया सरमा का पुत्र सारमेय (कुत्ता) उस यज्ञ स्थल में खेलता हुआ आ गया| जनमेजय के भाइयों ने  कुत्ते को वहां देख कर उसे मार कर वहां से भगा दिया| कुत्ता जोर जोर से चिल्लाता हुआ  वहां से भागा और अपनी माँ के पास  पहुंचा! उसे रोता देख कर माता ने उस से पूछा "बेटा! तुम क्यों रो रहे हो, तुम्हें किस ने मारा?"
           इस पर कुत्ते ने रोते रोते बताया "माँ मैं ने कोई अपराध नहीं किया, फिर भी जनमेजय के भाइयों ने मुझे मारा"|
           माता ने कहा "बेटा! तुमने जरुर कोई अपराध किया होगा, बिना अपराध के वह तुम्हें क्यूँ मारेंगे?"
           इस पर कुत्ते ने कहा "नहीं नहीं माँ! में सच कहता हूँ कि मैं ने ना तो उन के हवन की तरफ देखा और ना हीं कोई पदार्थ छुआ|"

         यह सुन कर पुत्र के दुःख से दुखी हुई उसकी माता सरमा वहां पहुंची जहाँ हवन यज्ञ  हो रहा था| सरमा ने क्रोध करते हुए परीक्षित के पुत्रों से पूछा-" मेरे पुत्र ने ना तो आप लोगों का होम द्रव्य छुआ है और ना ही उस ओर देखा है,फिर आप ने मेरे निरपराध पुत्र को क्यूँ मारा?"
         परीक्षित पुत्रों ने इस का कोई जवाब नहीं दिया| तब  सरमा ने समझा कि मेरा पुत्र निरपराध है| उसने जनमेजय भाइयों से कहा "मेरा पुत्र निरपराध है फिर भी आप लोगों ने उसे मारा है,इस लिए में आप लोगों को शाप देती हूँ, आप लोगों पर अकस्मात विपति आएगी और दुःख भी उठाना पड़ेगा|"
         इस शाप को सुन कर जनमेजय आदि सभी बहुत घबरा गए| और इस शाप के कारण उन्हें उनके पिता परीक्षित की मृत्यु का समाचार सुनना पड़ा और घोर कष्ट उठाना पड़ा| इसलिए जो अपने लिए प्रतिकूल हो-दुखदाई हो,ऐसा ब्यवहार किसी दूसरे के प्रति कभी भी ना करें क्यूँ की ऐसा करने से स्वयं को महां पापका भागी होना पड़ता है|                         के. आर. जोशी.

Thursday, December 9, 2010

"शेर और ब्राह्मन "

           एक गांव के नजदीक  एक घना जंगल था| उस घने जंगल में एक शेर रहता था| शेर रोज गांव में जाकर  गांव वालों की बकरियां, मुर्गी आदि को मार कर खा जाता था|  शेर के ऐसा करने पर गांव वाले बहुत परेसान थे| शेर से छुटकारा पाने के लिए गांव वालों ने एक पिंजरा बनवाया और उस पिंजरे को जहाँ से शेर आताथा उस रास्ते में रख दिया| जब शेर रात को अँधेरे में गांव की तरफ जारहा था तो गलती से पिंजरे के अन्दर चला गाया| शेर के भार से पिंजरे का दरवाजा अपने आप बंद हो गाया| शेर बहुत चिल्लाया पर वहां उसकी सुन ने वाला कोई नहीं था| काफी देर बाद एक ब्राह्मन वहां से किसी दूसरे गांव में पूजा करने जा रहा था| रास्ते में शेर को देख कर डर गाया| जैसे ही वह वापस होने लगा, शेर ने बहुत मासूमियत में गिडगिडाते हुए ब्राह्मन से कहा में काफी देर से इस पिंजरे में बंद हूँ, कृपा करके मुझे बाहर निकाल दीजिए, में आप का अहसान मंद रहूँगा| शेर के गिडगिडाने पर ब्राह्मन को शेर पर दया आ गई| ब्राह्मन ने दरवाजा खोल  दिया| शेर बाहर आते ही ब्राह्मन पर झपट पड़ा| शेर ने कहा में तुझे खा जाउगा | ब्राह्मन शेर के आगे गिडगिडाने लगा तो ऊपर पेड़ पर बैठा  एक बन्दर जो इनकी सारी बातें सुनरहा था बोला, ब्राह्मन देव क्या बात हो गाई है| इस पर ब्राह्मन ने बन्दर को सारी बात बतादी| बन्दर ने कहा ब्राह्मन देव क्या बात करते हो भला जंगल का राजा शेर इतना ताकतवर होते हुए  इस चूहे के पिंजरे में कैसे आ सकता है| शेर को  अपनी बेइज्जती होती दिखी तो शेर बोला, यह ठीक बोल रहा है में काफी देर से इस पिंजरे में था अगर यकीन नहीं होता है तो में फिर से पिंजरे में जाकर दिखा देता हूँ| बन्दर ने कहा पिंजरे में घुस कर तो दिखाओ में भी देखता हूँ आप कैसे इस पिंजरे में आते हैं| जैसे ही शेर दुबारा पिंजरे मे गाया पिंजरे का दरवाजा फिर से शेर के भार से बंद हो गाया| बन्दर ने ब्राह्मन से कहा ब्राह्मन देव अपनी जान बचाइए और  भाग लीजिए| ब्राह्मन ने बन्दर का धन्यवाद किया और वहां से भाग लिया| इस तरह एक बन्दर ने अपनी चतुराई से एक ब्राह्मन की जान बचा ली|