Saturday, December 31, 2011

आप सब को नए साल 2012 की हार्दिक शुभकामनाएँ|

              

                  साल 2011 कुछ ही घंटों का मेहमान है, कुछ ही घंटों बाद साल 2012 आ  जायेगा| नया  साल 2012 आप लोगों के लिए खुशियों भरा हो मंगलमय हो भगवान आप सब की मनोकामना पूर्ण करे और आप सब नए साल 2012 में दिन दुगुनी रात चौगुनी तरक्की  करें| यह मेरी आप सब के लिए हार्दिक शुभकामना है| कल नए साल की  सुबह  होगी आइए इस मौके पर हम संकल्प करें कि हम इस देश के सच्चे नागरिक बनें| अंत में आप सब को नए साल 2012 की हार्दिक शुभकामनाएँ|


                                        ख्याली राम जोशी (पाटली)

Thursday, December 22, 2011

तजुर्बे का फल

                        बहुत समय पहले की बात है| एक बार एक राजा शिकार खेलने के लिए जंगल में गए| शिकार के पीछे भागते भागते राजा रास्ता भटक गए| भटकते भटकते उन्हें रात हो गई| दूर एक जगह उन्हें रोशनी दिखाई दी वे रोशनी की तरफ बढे| वहां झोपड़ी में एक बुजुर्ग बैठा हुआ मिला| राजाने उस से रास्ता पूछा और कहा कि तुम यहाँ क्या करते हो| बुजुर्ग ने जवाब दिया कि मैं जमीदार की खेती की रखवाली करता हूँ; बदले में मुझे एक पाव आटा रोज का मिलता है| राजा को लगा बुजुर्ग आदमी तजरबे कार है इसको साथ ले चलना चाहिए| राजा ने कहा तुम मेरे साथ चलो में तुम्हें रोज का आधा किलो आटा दे दिया करूँगा| बुजुर्ग तैयार हो गया| दोनों राजमहल में चले गए| बुजुर्ग को एक कमरा देदिया गया| बुजुर्ग वहीँ आराम से रहने लग गया|
एक दिन एक घोड़े का व्यापारी घोड़े बेचने आया| राजा को एक घोडा बहुत पसंद आगया उसने सोचा कि इसमें बुजुर्ग कि भी राय ले ली जाय| उसने बुजुर्ग को बुलाया और कहा ये घोडा कैसा है| बुजुर्ग ने घोड़े के शरीर पर हाथ फेरा और बताया कि घोडा तो बहुत सुन्दर है पर गहरे पानी में घोडा बैठ जाएगा| राजा ने बुजुर्ग की सलाह को न मानते हुए घोडा खरीद लिया| कुछ दिन बाद जब राजा उसी घोड़े पर शिकार के लिए जा रहा था तो रास्ते में एक नदी पर करते हुए जब घोडा गहरे पानी में गया तो बैठ गया| राजा को बुजुर्ग की बात याद आगई वह वापस आगया और बुजुर्ग को बुला कर पूछा कि तुन्हें कैसी पता लगा कि घोडा गहरे पानी में बैठ जाएगा| बुजुर्ग ने बताया कि जब में ने घोड़े के शरीर पर हाथ फेरा तो मुझे उसके जिगर में गर्मी महसूस हुई जिस से लगा कि घोडा गहरे पानी में बैठ जाएगा| राजाने घोड़े के व्यापारी को बुलाकर कारण जानना चाहा व्यापारी ने कहा कि बचपन में इस घोड़े कि माँ मर गई थी तो इसे भैंस का दूध पिलाकर पाला है जिस से इसके जिगर में गर्मी हो गई है| राजा ने बुजुर्ग के तजुर्बे से खुश होकर इनाम में उसे एक पाव आटा और दे दिया| अब बुजुर्ग को तीन पाव आटा रोज का मिलने लगा|
एक बार बैठे बैठे राजा के दिमाग में आया कि बुजुर्ग से में अपनी रानी के बारे में क्यों न पूछूं|राजा ने बुजुर्ग को बुलाकर कहा कि आप बहुत तजुर्बे कार हैं, आप मेरी रानी के बारे में भी बताएँ बुजुर्ग ने कहा ठीक है आप रानी को बिलकुल नंगा कर के एक कमरे में बैठा दें तो में रानी के बारे में बता सकता हूँ| राजा ने वैसा ही किया रानी को नंगा करके एक कमरे में बैठा दिया गया| बुजुर्ग ने जैसे ही कमरे का दरवाजा खोला रानी अंदर को भाग गई|बुजुर्ग वापस आया और राजा को बताया कि आपकी रानी किसी वैश्या की बेटी लगती है|राजाने अपनी सास को बुलाकर कुछ सख्ती से पूछा तो उसने बताया कि उनकी कोई औलाद नहीं थी इस लिए उन्होंने इस बेटी को एक वैश्या से गोद लिया था|राजा ने बुजुर्ग से पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला कि रानी वैश्या की बेटी है तो बुजुर्ग ने जवाब दिया किसी भी नंगी औरत के सामने जाने पर औरत अपने अंगों को छिपा कर सिकुड़ कर बैठ जाती है पर रानी मुझे देखते ही भाग गई थी| राजा ने बुजुर्ग के तजुर्बे से खुश होकर उसको इनाम में एक पाव आटा और देदिया| अब बुजुर्ग को एक किलो आटा रोज का मिलने लग गया|
एक दिन राजा ने बुजुर्ग को बुला कर पूछा कि अब आप मुझे मेरे बारे में कुछ बताइए|बुजुर्ग ने बेझिझक कहा आप तो किसी बनिए के बेटे हो|राजा को सुन कर गस्सा भी आया और हैरानी भी हुई| राजा उसी समय उठा और अपनी माँ के पास गया| तलवार अपनी गर्दन पर रख कर बोला कि माँ सच सच बता में किसका बेटा हूँ नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगा| माँ डर गई और बताया कि तुम्हारे पिताजी राज्य के काम से बाहर ही रहा करते थे|यहाँ एक मुनीम रहता था तुम उसी की औलाद हो|राजाने बुजुर्ग से आकर पूछा कि तुम्हें कैसे पता चला कि में बनिए का बेटा हूँ तो बुजुर्ग ने जवाब दिया कि मैंने आप को लाख लाख टके की एक एक बात बताई और आप ने उसकी कीमत क्या रखी एक पाव आटा? जिस से इस बात का पता चलता है कि आप बनिए के बेटे हो|राजाने बुजुर्ग के तजुर्बे से खुश होकर बुजुर्ग को अपने मंत्री मंडल में शामिल कर लिया| 

Thursday, December 8, 2011

पानी की कमाई पानी में

                            बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल के किनारे कुछ ग्वाले रहते थे| वे अपने गाय  भैसों का दूध बेचने के लिए शहर में जाया करते थे| उन ग्वालों में एक ग्वाला बहुत लालची था| वह रोज दूध बेचने जाते समय रास्ते में पड़ती नदी में से दूध में पानी मिला दिया करता था|
                             एक दिन जब ग्वाले बाज़ार से अपनी बिक्री का हिसाब  करके पैसे ले कर घर को आ रहे थे तो दोपहर की गर्मी से तंग आकर उन्हों ने नदी में नहाने का मन बनाया| सभी ग्वालो ने अपने अपने कपडे उतार कर एक पेड़ के नीचे रख दिए और नहाने के लिए नदी के बीच में चले गए| कुछ ही देर में पेड़ से एक बन्दर उतरा और उस लालची ग्वाले के कपड़े उठाकर पेड़ पर ले गया | उसने उसकी जेब से रुपये के सिक्कों वाली थैली निकाली और एक एक करके नदी में फैंकने  लग गया| ग्वाला चिल्लाया और अपने कपडे और पैसे छुड़ाने के लिए बन्दर के पीछे भागा| इतनी देर में वह बन्दर  बहुत सारे सिक्के नदी में गिरा चुका था|
                              लालची ग्वाला अपने भाग्य को कोसने लगा और  कहने लगा कि देखो मेरी महीने की कमाई के आधे पैसे बन्दर ने पानी में मिला दिए| इसपर उसके साथी ग्वालों ने कहा तुमने जितने पैसे पानी मिलाकर कमाए थे उतने पैसे पानी में ही चले गए हैं| पानी की कमाई  पानी में| उस दिन से उस ग्वाले ने दूध में पानी मिलाना छोड़ दिया और ईमानदारी से दूध बेचने लगा| इसी लिए कहते हैं कि पाप की कमाई कभी फलती नहीं है|