Friday, June 25, 2010

लाल सुअरी

          बहुत पहले की बात है, किसी गांव मे एक गरीब किसान रहता था| उस के सात बेटे थे | वे लोग सब मिल जुल कर खेत मे काम करते थे फिर भी उन के खाने लायक अनाज मुस्किल से होता था|एक बार किसान के खेत मे बाजरा लहलहा रहा था |खेती काफी अच्छी हो रही थी| एक दिन  अचानक कहीं से एक लाल रंग की सुअरी आ कर उन के खेत को चट कर गई| किसान के बेटों ने देखा कि  सुअरी सारा बाजरा खा गई है और जगह जगह अपना  मल त्याग गई है, मल मे बहुत सारे बाजरे के दाने हैं तो उन्हों ने सुअरी का सारा मल इकठ्ठा कर लिया फिर उसको धोकर उस मे से बाजरे के दाने निकाल कर पिसा लिए और उस आटे  की रोटियां बना कर खाने लगे| रोटियां बहुत मीठी और स्वादिस्ट  थीं| उन्हों ने सोचा कि  जिस सुअरी के मल में  सनी हुई बाजरे की रोटियां इतनी मीठी और स्वाद हैं उस सुअरी का मांस कितना मीठा नहीं होगा?
            अगले दिन किसान के बेटों ने सुअरी को मारकर लाने की थान ली| किसान का सबसे छोटे  बेटे की एक टांग ख़राब थी वह लंगड़ा कर चलता था |छः बड़े भाइयों  ने छोटे से कहा कि  तेरे से दौड़ा नहीं जाएगा इस लिए तू घर में  रह हम लोग जाकर सुअरी को मार कर ले आते हैं| छोटे को छोड़ कर सभी भाई सुअरी को मारने  के लिए चल  पड़े | घर से कुछ दूरी पर उन्हें पानी भरते हुए कुछ पनिहारियाँ दिखाई दीं| उन्हों ने पनिहारियों से पूछा की यहाँ से कोई लाल सुअरी को जाते हुए तो नहीं देखा? पनिहारियों ने कहा पहले हमारी गगरियाँ उठ्वावो फिर बताएगे| सभी भाइयों ने ताकत लगाईं पर गगरियाँ नहीं उठावा सके| पनिहारियों ने कहा एक गागर तो उठवा नहीं सकते सुअरी को क्या मरोगे कहकर बताया की सुअरी आगे को गयी है|वे आगे को चले गए | आगे उनको कुछ ग्वाले पशु चराते नजर आये | उन्हों ने ग्वालें से पूछा की यहाँ से लाल सुअरी को जाते हुए देखा है क्या? ग्वालों के दो बैल चनुँ और बिनुँ आपस मे लड़ रहे थे |ग्वालों ने कहा इन बैलों को अलग  कर दो तो बता देंगे सभी भाइयों  ने जोर लगाया पर बैलों की लड़ाई नहीं  छुड़ा सके| ग्वालों ने कहा इतना भी नहीं कर सके तो सुअरी को क्या मारोगे  कहा कि थोड़ा ही आगे गई है| वे आगे बड़े और उनको रात पड़ गई |वे सारी रात सुअरी को ढूढ़ते रहे |सुबह को सुअरी धूप सकते हुए उन्हें मिल गयी उन्हों ने सुअरी से कहा कि  तुमने हमारी सारी फसल ख़तम कर दी अब हम तुम्हें ख़तम करने आये हैं|अगले ही पल सुअरी ने छेहों भाइयों को निगल  लिया|
              इधर छोटे भाई को चिंता हो रही थी कि  रात पड़ने पर भी उसके भाई वापिस नहीं आये उसकी रात बड़ी मुश्किल से गुजरी सुबह सवेरे ही वह भाइयों की खोज मे निकल  पड़ा| रस्ते में  उसे पानी भारती हुई पनिहारियाँ मिली तो उसने पनिहारियों से पूछा कि  उन्होंने उसके छः भाइयों को जाते हुए देखा  है? पनिहारियों ने कहा पहले हमारे घड़े  उठ्वावो फिर बताएंगी |उसने अपनी लंगड़ी लात  को घड़े पर टिकाया और हाथ से जोर से घड़े को ऊपर को उठाया तो घडा उठ गया| घड़े उठवाकर उन्हों ने उसे बताया कि  यहीं आगे को गए हैं| वह आगे बढ गया | कुछ दूरी पर उसे ग्वाले मिल गए उसने उन से भाइयों के बारे मे पूछा तो उन्हों ने कहा कि  पहले हमारे बैलों की लड़ाई छुड्वाओ फिर बताएँगे | उसने अपनी लंगड़ी लात से दोनों को ऐसी लात मारी  कि  वह अलग  अलग हो गए| ग्वालो ने कहा कि  अभी अभी आगे गए हैं| कुछ ही दूरी पर उसे लाल सुअरी बैठी हुई दिखाई दी| सुअरी के पास जाते ही उसने सवाल किया कि  मेरे भाई कहाँ हैं? सुअरी ने जवाब दिया कि  उनको तो में  निगल गई| सुनतेही छोटे भाई ने अपनी लंगड़ी लात से एक लात जोर से सुअरी के नाक पर दे मरी| इस से सुअरी डर गई उसने कहा में  तुम्हारे भाइयों को वापिस कर देती हूँ मुझे मत मरो| छोटे भाई ने कहा कि  तुम मेरे भाइयों को अपनी नौ इन्द्रियों में  से किसी भी इन्द्री से बहार नहीं निकालोगी  इन से मेरे भाई गंदे हो जाएँगे| और किसी रास्ते से उन्हें बाहर  निकालो| सुअरी ने अपनी नाभि के रास्ते से बाहर  निकाल दिया| यह देख कर सभी भाई बहुत खुश  हुए और गले मिलने लगे| सुअरी मौका देख कर वहां से भाग गई फिर उनके हाथ नहीं आई| सातों भाई खुश थे की उनकी जान  बच गई| पर उनको अफ़सोस भी था कि  सुअरी फिर बच के निकाल गई| सातों भाई हंसी  ख़ुशी  अपने घर आगये|
                                                     के: आर: जोशी (पाटली)
               

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