Monday, July 5, 2010

सात बहनें

            क  राजा था | उस की सात बेटियां थीं| एक बार राजा ने अपनी सातों बेटियों को बुलाकर पूछा कि तुम किस के किस्मत का खाते हो| छः बड़ी बहनों ने कहा कि पिताजी हम तो आप का दिया हुआ ही खाते हैं तो आप की ही किस्मत का खाते हैं| सब से छोटी बहन ने कहा कि सब अपनी अपनी किस्मत का खाते हैं में भी अपनी किस्मत का खाती हूँ| राजा ने कहा कि मुझे बदनसीबी ने घेर लिया है इस लिए आप को घर छोड़ कर कहीं और जाना होगा|  यह कह कर राजा ने उन के रास्ते के लिए कुछ खाने  को बांधा और छः बड़ी बेटियों को दे दिया| छोटी बेटी को कुछ  चावल के दाने दे दिए| सातों बेटियां घर से अनजान  डगर की और चल  दीं| चलते चलते उन्हें प्यास लग गई| उन्होंने काफी इधर उधर पानी ढूढने की कोशिश की पर कहीं पानी नहीं मिला| थक हार के एक पेड़ के नीचे बैठ गई और छोटी बहन से कहा कि अब तू जाकर दूसरी तरफ पानी ढूढ़ |छोटी बहन ने आज्ञा का पालन करते हुए कहा ठीक है आप आराम करो मे ढूढ़ कर आती हूँ| थोड़ी ही दूरी पर उसे पानी दिखाई दिया| उसने अपनी प्यास बुझाई और फिर बहनों को आवाज दी कि यहाँ पर पानी है छहों बहनें पानी के पास पहुँच गई और अपनी प्यास बुझाई, तब छोटी बहन ने कहा कि थोडा मेरे को भी पीने दो तो बड़ी बहनों ने उसे झिडक दिया वह चुप हो गई क्यों कि उसने तो पहले ही पानी पी  लिया था| अब उनको भूख भी लग आई तो उन्हों ने खाने की पोटली खोली, देखा तो सारा खाना खराब हो चुका था  अब बारी आई सब से छोटी की |उसने जब अपनी पोटली खोल कर देखा तो उसमे चावल की जगह खीर बनी पड़ी थी| उसने थोडा थोडा सभी बहनों को दिया जो बच गया खुद खालिया|
          आगे चल कर उन्हें रात होने को आई तो थोड़ी  दूरी पर कुछ घर दिखाई दीए| बड़ी बहनों ने छोटी बहन से कहा कि  हम बहुत थक गए है तुम जाकर देखो वहां कौन रहता है और हमे रात रहने के लिए जगह मिलेगी? बेचारी छोटी बहन वहां गई और देखा की उन घरों में  कोई भी नहीं है | घर भी सात ही हैं | उसने छः घरों की सफाई की और सातवें घर मे कूड़ा डाल आई क्योकि सातवे घर में सभी साधन थे| घर का सारा सामान और घोडा भी था | वह वापिस अपनी बहनों के पास गई और कहा कि घर तो खाली हैं और घर भी सात ही है | छः घर तो में साफ कर आई हूँ और सारा कूड़ा सातवे घर में  डाल आई हूँ| बड़ी बहनों ने कहा कि हम सातों एक-एक घर ले लेते हैं | गन्दा घर तुम खुद रख लो तुम ही ने गन्दा किया है | सातों बहनें  आराम से इन घरों मे रहने लगी|
              कुछ समय बाद वहां नजदीक मे एक मेले लगा| बड़ी बहनों ने छोटी से कहा कि  तुम घर की रखवाली करो हम मेला देख कर आते हैं | उसने कहा ठीक है जैसा आप ठीक समझें| जब छहों बहनें मेले को चली गई तो छोटी ने अपना भेष बदल लिया राज कुमारों जैसा भेष बना कर घोड़े पर बैठ कर मेले को चल दी| मेले मे सभी लोग उसे देखते ही रहगये| उसके बाद बड़ी बहनों के घर आने से पहले ही घर पहुँच कर अपने पुराने ही भेष में दरवाजे पर बैठ गई और बहनों का इंतजार करने लगी| जब बड़ी बहने आइ तो छोटी ने पूछा मेला कैसा रहा तो बड़ी बहनों ने बताया कि मेले  मे एक राजकुमार घोड़े पर सवार होकर आया था सभी लोग उसे देखते ही रह गए| छोटी बहन ने कहा कि में तो घर की रखवाली मे थी| पर यह सब कुछ अपनी अपनी किस्मत का है| अपनी किस्मत से ही सब कुछ मिलता है |
                                                          के: आर: जोशी. (पाटली)

2 comments:

  1. Kahaniyan achii lagin...aaj aisii kahaniyon kii jaroorat hai...bache tv pr cartoon film dekh dekh kar barbaad ho rahe hain..unki kalpanashiilta aur bhartiiyata ko nuksaan ho raha hai-dilip tetarbe

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