मानव-जीवन पाकर भी, भगवत्प्राप्ति का उद्देश्य समझकर भी मनुष्य दिग्भ्रमित क्यों रहता है? क्या जीवन उसे उसकी इच्छा से प्राप्त हुआ है? अमुक वंश या अमुक जाति में जन्म पाना मनुष्य के बस की बात नहीं है| फिर क्यों न मनुष्य जहाँ प्रभु की इच्छासे जीवन जीने का स्थान मिला, उसे ही अपनी कर्मभूमि समझ अपने योग्यतानुसार प्रभु कार्य में लगाकर अपना जीवन सफल करने का प्रयास करे|
मनुष्य को जो कुछ भगवान ने दिया है उसके प्रति आभार ब्यक्त करने की अपेक्षा जो नहीं मिला उसे लेकर वह चिंतित तथा दु:खी रहता है| भौतिक सुख-साधनों को सर्वोपरि समझ कर परमार्थ को भूल जाता है| अपने जिम्मे आये कार्यों को करना नहीं चाहता| केवल भोग भोगना चाहता है, कितनी बड़ी मूर्खता करता है|
एक किसान हल चलाता और खेत की मिटटी को नरम कर उसमें बीज डालता है| उसके पश्चात् प्राकृत या परमात्मा के अनुग्रह से फसल होती है तथा फल भी प्राप्त होता है| यदि भाग्य में नहीं होता तो वर्षा न होने या कम होने से लाभसे वंचित भी रह जाता है| मगर यदि मेहनत नहीं करेगा, बीज नहीं बोएगा तो कितनी ही अच्छी वर्षा से फल लाभ दायक नहीं हो सकता | ईश्वर की सहायता भी तभी फली भूत होती है जब हम ने अपना कार्य किया हो| केवल आशावादी बनकर कर्म-विमुख जीवन निरर्थक है| बिना बीज बोए तो अनपेक्षित झाड़-झंखाड़ ही पैदा होंगे और शेष जीवन उन झाड़ियों के उखाड़ फेंकने में ही बीत जाएगा|
बिल्कुल सही कहा आपने .सार्थक अभिव्यक्ति @मोहन भागवत जी-अब और बंटवारा नहीं .
ReplyDeleteकेवल आशावादी बनकर कर्म-विमुख जीवन निरर्थक है|सार्थक प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post: वह सुनयना थी,
.सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबिलकुल सही | आशा के साथ कर्म भी जरुरी है |आप को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं |
ReplyDeleteबहुत सार्थक सन्देश...
ReplyDeleteआपको और परिवार के सभी सदस्यों को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......
ReplyDeleteसुगना फाउंडेशन -मेघलासिया परिवार की ओर होली की खुब सारी हार्दिक शुभकामनाएँ.. .......सवाई आगरा
कर्म ही फल है ....!!
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