वृद्ध राजा के मन के विचार को ताड़ गया। उसने बादशाह से कहा- आप सोच रहे होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूं। जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुंचता, उस पर कौन मेहनत करता है, लेकिन यह भी सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है?
दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाएं हैं। क्या उस कर्ज को उतारने के लिए मुझे कुछ नहीं करना चाहिए? क्या मुझे इस भावना से पेड़ नहीं लगाने चाहिए कि उनसे फल दूसरे लोग खा सकें? बूढ़े की यह बात सुनकर बादशाह ने निश्चय किया कि वह प्रतिदिन एक पौधा लगाया करेगा।
यदि हम यह सीख ले ले तो कभी दुनिया मे दुख नही होगा....अच्छी कहानी बधाई
ReplyDeleteaachhi likhe hi
ReplyDeleteHamein bhi kuchh achchhi koshish karni chahiye
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteहमे भी पोधे लगाने चाहिये
ped lagao jivan bachao
ReplyDeleteped lagao jivan bachao
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