बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी रहा करते थे| सभी जानवर आपस में मिलजुल कर रहते थे| एक बार एक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी| घूमते घूमते उसकी मुलाकात एक सारस से हो गई| धीरे धीरे दोनों की मुलाकात दोस्ती में बदल गई| दोनों पक्के दोस्त बन गए| एक दिन लोमड़ी ने सारस से कहा हमारी दोस्ती काफी दिनों से है पर हमने कभी भी एक दुसरे को दावत नहीं दी| कल को में तुम्हे दावत देना चाहता हूँ, तुम मेरे घर दावत पर जरुर आना| सारस ने उसकी दावत का निमंत्रण सहर्ष स्वीकार कर लिया|
अगले दिन सारस सही समय पर लोमड़ी के घर दावत लेने पहुँच गया| लोमड़ी ने भी उसका स्वागत किया| खाने में लोमड़ी ने स्वादिष्ट खीर बनाई थी| जब खाने का समय हुआ तो लोमड़ी एक चौड़े बर्तन में खीर परोस कर ले आई| दोनों खाने लगे| सारस की चोंच इस में डूब नहीं रही थी इस लिए खीर का आनंद नहीं ले सका| लोमड़ी फटाफट सारी खीर चाट गई| सारस बिचारा भूखा ही रह गया| सारस लोमड़ी की चालाकी को समझ गया| सारस ने लोमड़ी को सबक सिखाने की सोची| फिर एक दिन सारस ने भी लोमड़ी को अपने घर दावत देने की सोची| उसने लोमड़ी को दावत का निमंत्रण दे दिया| लोमड़ी ने भी दावत को सहर्ष स्वीकार कर लिया| अगले दिन लोमड़ी बड़े चाव से सारस के घर दावत उड़ाने चली गई| सारस ने भी उसकी मनपसंद खीर बनाई थी| जब खाने का समय आया तो सारस एक पतले मुंह वाले बर्तन में खीर परोस कर ले आया और लोमड़ी को खाने का आग्रह किया| जब लोमड़ी खाने लगी तो उसकी जीभ खीर तक पहुंची ही नहीं| सारस ने अपनी लम्बी चौंच से सारी खीर डकार ली| लोमड़ी बेचारी को भूखे पेट ही रहना पड़ा और अपने किए पर काफी पछतावा भी हुआ| इसी लिए कहते है कि जो जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करता है उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए|
जैसा को तैसा मिला ...बहुत ही बढ़िया सिख
ReplyDeleteवाह जी, बहुत ही सुंदर कहानी है।
ReplyDeleteYes
Deleteमगर कैसे
Deleteये छोटी और प्रेरक कहानियां पढ़-पढ़ कर अपना बचपन बीता है...उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए धन्यवाद...
ReplyDeleteRealy
DeleteNice story
Delete☺☺☺☺☺☺🤐
Very good hsvhsjdbbsjkjshsbb
DeleteVery good hsvhsjdbbsjkjshsbb
Deleteएक सवाल है इस कहानी का मर्म क्या है की
ReplyDeleteहमें दूसरो के साथ वैसा ही करना चाहिए जैसा की वो हमारे साथ करते है
या हमारे साथ भी वैसा ही होता है जैसा की हम दूसरो के साथ करते है
या हमें दूसरो के साथ वैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए जैसा की हमें दूसरो के द्वारा अपने लिए किया जाना पसंद नहीं है |
बात एक ही है किन्तु सभी में थोडा थोडा नैतिकता और शिक्षा का फर्क है |
ये बात सही है
Deleteये बात सही है
Deleteसुंदर कहानी
ReplyDeleteबड़ी सार्थक सीख।
ReplyDeleteसार्थक सीख देती बहुत सुन्दर कथा..
ReplyDeletebahut achchi kahani.mere blog par apni precious tippani dene ke liye dhanyavaad.
ReplyDeleteअब कहानी के लिये कहीं नहीं जाना पडेगा,
ReplyDeleteबचपन में पढ़ी हुई कहानियाँ आज भी कितनी अच्छी लगती हैं ना...............
ReplyDeleteजैसे को तैसा...
ReplyDelete@अंशुमाला जी,
ReplyDeleteआपकी बताई दोनों शिक्षायें तो हैं ही, मुझे इस कहानी से यह भी शिक्षा मिली कि मक्कारों का दिया अहसान भी फिज़ूल ही जाता है।
जो जैसा व्यवहार दूसरों के साथ करता है उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए|
ReplyDeleteबहुत अच्छी कहानी पढ़ाने के लिए आपका धन्यवाद
बहुत ही सुंदर कहानी है।
ReplyDeleteदोस्तों नमस्कार
ReplyDeleteआप भी सादर आमंत्रित हैं
आज ये मेरी पहली पोस्ट है
उम्मीद है पसंद आयेंगी आपको
सुंदर कहानी
ReplyDeletekahani bahut sundar hai!...lomdi jaisi maansikata waalon ke saath aisaa hi vyavhaar karna chaahiye, jaisa ki saaras ne kiyaa!..dhanyawaad!
ReplyDeleteसदाबहार-सीख ! ऐसी छोटी और लाभ-प्रद कहानियां न आज पढ़ने को मिलती हैं न सुनने को !
ReplyDeleteयह ब्लॉग मुझे इसलिए अच्छा लगता है क्योंकि यह मुझे अपनी हिन्दी की पुरानी कहानियों से अवगत करवाता रहता है..
ReplyDeleteआशा है कि कहानियों द्वारा यादों की माला यूँ ही बढ़ती जाएगी...
आभार
सुख-दुःख के साथी पर आपके विचारों का इंतज़ार है..
बचपन में ये कहानी सुनी थी , याद फिर से ताजा हो गई .
ReplyDeleteyahan aa kar mujhe itna achcha laga rha hai...bachpan me padhi hui sari kahaniyan wapas yaad aa gyi...ab bade maze se mai apni beti ko ye sari kahaniya sunaugi...
ReplyDeletebahut dhanywaad aapka.
Nice story
ReplyDeleteI love this story
ReplyDeletevery nice story ✌️ jase Ko Tessa....
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