Sunday, June 12, 2011

शेर और खरगोश

                    किसी जंगल में एक शेर रहता था| शेर कई दिनों से भूखा था| जब वह अपनी मांद से शिकार करने निकल रहा था तो उसने देखा कि एक खरगोश उसकी मांद के करीब ही खेल रहा है| शेर जैसे ही उस पर झपटने वाला था, सामने एक हिरन दिखाई दिया| शेर ने सोचा खरगोश तो बहुत छोटा है,नाश्ता भी पूरा नहीं होगा हिरन काफी बड़ा है उसी को मारना चाहिए|
                  अत: वह शेर खरगोश को छोड़ कर उस हिरन के पीछे दौड़ पड़ा| लेकिन वह हिरन शेर को देख कर, बहुत तेज दौड़ने लगा और जल्दी ही वह शेर की आँखों से ओझल हो गया|
                  शेर ने हिरन को तेज दौड़ते हुए देखा तो वह सोचने लगा कि वह अब हिरन को नहीं पकड़ सकेगा| हिरन के आँखों से ओझल होते ही शेर पूरा भोजन पाने की आशा छोड़ बैठा| उसने मन ही मन निश्चय किया कि हिरन का पीछा करना अब बेकार है| मुझे खरगोश के पास ही लौट जाना चाहिए| उसको खाने से मेरा कुछ तो पेट भरेगा|
                 किन्तु वह जब लौट कर वापस  अपनी मांद के पास पहुंचा तो वहां खरगोश को न पाकर वह आश्चर्य में पड़ गया| वह सोचने लगा मैं तो खरगोश को यहीं छोड़ गया था? फिर यह खरगोश कहाँ चला गया? जरुर यही कहीं छिपा होगा| मैं अभी उसको तलाश करता हूँ| वह मुझसे बच कर कहाँ जा सकता है? यह सोच कर वह शेर उस खगोश को तलाश करने लगा| उसने मांद के अन्दर देखा, मांद के बाहर  देखा मगर उसे कहीं भी वह खरगोश नज़र नहीं आया| खरगोश तो शेर के वहां से जाते ही रफूचक्कर हो गया था| खरगोश को वहां न पाकर शेर बड़ा हताश हुआ| हिरन और खरगोश दोनों ही उसका भोजन बनने से बच गए थे|
                 शेर हिरन का ध्यान कर सोचने लगा जब मैंने उसे देखा था तो सोचा था, हिरन खरगोश से बड़ा है इसलिए उसको खाकर मेरा पेट भर जाएगा| खरगोश तो बहुत छोटा है-उसको खाकर मेरा पेट भी नहीं भर सकता| अत: मैं खरगोश को छोड़ कर हिरन का शिकार करने के लिए उसके पीछे दौड़ पड़ा| लेकिन दुर्भाग्य कि वह हिरन मेरे हाथ नहीं आया और तेजी से भाग गया|
                  अपने दोनों शिकार हाथ से निकल जाने के कारन शेर बड़ा पछताया और बोला,"मैंने थोडा छोड़ कर ज्यादा पाने के लालच में अपना सबकुछ खो दिया"| मैं न थोडा पा सका न ज्यादा| 
                   इस लिए कहते हैं कि ज्यादा पाने के लालच में थोड़े से भी हाथ धोना पड़ जाता है|

   

17 comments:

  1. इस कहानी से हम कह सकते है कि लालच बुरी बला, या फ़िर शेर का ध्यान दोनों में बंट गया था। लक्ष्य एक ही होना चाहिये।

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  2. जो मिल जाये उसे अपनाकर ही बड़े के बारे में सोचना चाहिये।

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  3. इस लिए कहते हैं कि ज्यादा पाने के लालच में थोड़े से भी हाथ धोना पड़ जाता है.......

    अच्छी सीख देती कहानी...

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  4. लालच बुरी बला है..बहुत शिक्षाप्रद कहानी..

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  5. sahi hai aadhi ko chhod poori ko dhyave aadhi mile n poori pave.bahut prerak kahani aabhar.

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  6. आधी छोड़ सारी को धाये...
    आधी रही, ना पूरी पाए...

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  7. Viaited your blog for the first time but liked yr fine stories very much.My best wishes.
    regards,
    dr.bhoopendra singh
    jeevansandarbh.blogspot.com

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  8. इसीलिए तो कहा जाता है :धोभी का कुत्ता घर का न घाट का .आधी को छोड़ पूरी को धावे ,हाथ न उसके कुछ भी आवे ।
    सार्थक बोध कथाओं को ला रहें हैं आप बधाई भी आपका आभार भी .

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  9. Bahut hi sundar kahani...sundar sandesh....aabhar....

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  10. some thing better than nothing.nice story.

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  11. ज्ञान वर्धक कहानियाँ पढ़वा रहे हैं आप| जय हो|

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  12. सुंदर कहानी...सही बात

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  13. आधी छोड पूरी को जावे, आधी रहे न पूरी पावे.

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  14. सभी के लिये शिक्षाप्रद कहानी......

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  15. सुन्दर और बेहतरीन कविता.

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  16. बस यहीं पर जीव मार खा जाता है। जो पास है उस पर संतोश करने की बजाये और पाने का लालच। प्रेरक कहानी।

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  17. बहुत ही सही कहा है इस प्रस्‍तुति में ।

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