Wednesday, October 19, 2011

खरगोश और मेढक

                    बहुत समय पहले की बात है| किसी जंगल में बहुत सारे खरगोश रहा करते थे| खरगोश बहुत दुर्बल और डरपोक थे| ताकतवर जानवर उन्हें देखते ही मारकर खा जाते थे| इस कारण उन्हें हमेशा अपने प्राणों के लिए शंकित रहना पड़ता था| एक दिन सभी खरगोशों ने मिलकर एक सभा बुलाई| इस सभा में उन्हों ने निश्चय किया कि सदा भयभीत रहने की अपेक्षा प्राण त्याग कर देना ही अच्छा है| इस लिए जैसे भी हो, हम लोग आज ही प्राण त्याग कर देंगे|
                     

                   ऐसी प्रतिज्ञा करने के बाद निकट के तालाब में कूद कर प्राण देने की इच्छा से सभी खरगोश वहां जा पहुंचे| उस तालाब के किनारे कुछ मेढक भी बैठे  हुए थे| खरगोशों के नजदीक पहुंचते ही मेढक भय से व्याकुल हो कर पानी में कूद पड़े| इसे देख कर खरगोशों का नेता अपने साथियों से बोला- मित्रो! हमारा  इतना भय भीत होना और खुद को इतना कमजोर समझना अच्छा नहीं है| आप ने यहाँ आकर देखा कि कुछ प्राणी ऐसे भी हैं जो हम से भी अधिक दुर्बल और डरपोक हैं| हमें इस से सबक सीखना चाहिए, हमें जान देने की बजाय हालातों से लड़ना चाहिए| सभी जंगल में वापस आ गए| 
                   

                    इस लिए मनुष्य को अपनी दुरवस्था के समय निराश नहीं होना चाहिए| हम चाहे कितनी भी कठिनाई में क्यों न हों, हमें ऐसे कई लोग मिल जाएँगे जिनकी अवस्था हम से भी खराब होगी|
 

11 comments:

  1. प्रेरणादायी कहानी... आपके ब्‍लॉग का विषय बहुत अच्‍छा लगा

    हिन्‍दी कॉमेडी- चैटिंग के साइड इफेक्‍ट

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  2. प्राण त्यागना अपराध हो।

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  3. प्रेरणा देती हुयी सुन्दर रचना ..कभी भी मन को निराश मत होने दो .....दिवाली की हार्दिक शुभ कामनाएं अग्रिम रूप से ...
    भ्रमर ५

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  4. बिलकुल सही है .....हमें कभी भी अपने ऊपर निराशा को हावी नहीं होने देना चाहिए

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  5. जीवहि जीव आधार के इर्द गिर्द वाली सुन्दर कहानी
    हर व्यक्ति ताक़तवर भी है ओर कमज़ोर भी
    हमारी इन कहानियों में बहुत कुछ होता है पढ़ कर समझने वालों के लिए

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  6. प्रेरणादायक..

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  7. बहुत बढ़िया बात समझाती कहानी....

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  8. बहुत प्रेरक...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  9. प्रेरक कथा धन्यवाद।

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