किसी बन में एक शेर रहता था| एक दिन उसे बड़ी भूख लगी| वह शिकार की खोज में दिन भर इधर उधर दौड़ता रहा, पर उस दिन उसे कुछ नहीं मिला| शाम को उसे एक बहुत बड़ी गुफा दिखाई दी| वह उस गुफा में घुस गया, पर उसे वहां कुछ नहीं मिला| उसने सोचा कि यह मांद जरुर किसी जानवर ने बनाई है| वह रात को यहाँ जरुर आएगा| शेर यहाँ छिप कर बैठ गया| ताकि मांद वाले जानवर के आने पर शेर का खाने का इंतजाम हो सके| कुछ समाय बाद एक लोमड और लोमड़ी वहां आए| लोमड़ी चालाक तो होती ही है उसने देखा कि कोई जानवर के पैरों के निशान मांद की तरफ गए हैं पर वापसी के कोई निशान नहीं हैं| वह सोचने लगी कि इस मांद में जरुर कोई है, अब में क्या करूँ, और कैसे पाता लगाऊं कि मांद में कौन है| कुछ सोचने के बाद उसे एक उपाय सूझा| उसने मांद को पुकारना आरम्भ किया| वह कहने लगी " ओ मांद!, ओ मांद!" फिर थोड़ी देर रुक कर बोली " ए मांद क्या तुम्हे याद नहीं है, हम लोगों में तय हुआ है कि जब भी मैं यहाँ आऊं तब तुम्हे मुझे आदरपूर्वक बुलाना चाहिए| पर यदि अब तुम मुझे नहीं बुलाते हो तो मैं दूसरी मांद में जा रही हूँ|" यह आवाज सुनकर शेर सोचने लगा "ऐसा लगता है कि यह गुफा इस लोमड़ी को बुलाया करती थी, पर आज मेरे डर से यह नहीं बोलरही है| इसलिए मैं इसे प्रेमपूर्वक बुला लूँ और जब आजाए तब इसे पकड़ कर खा जाऊं |" ऐसा सोचकर शेर ने जोर से पुकारा| शेर की जोर की आवाज से मांद गूंज उठी और बन के सभी जीव डर गए| लोमड़ी को भी पाता चल गया कि मांद में शेर बैठा है| लोमड़ी भी लोमड को साथ लेकर कहीं दूर भाग गई| और कहने लगी कि जो सावधान होकर विचारपूर्वक काम करता है वह सोभा पाता है| जो बिना विचारे कोई काम करता है उसे बादमें पछताना पड़ता है|
विचार कर ही कोई भी कार्य करें हम सब।
ReplyDeleteबिना बिचारे जो करे, सो पाछे पछताय.
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ReplyDeleteबिना सोचे काम करने पर पछताना ही पडता है.
ReplyDeletehttp://bachhonkakona.blogspot.com/
अच्छी बात बताती कहानी....
ReplyDeleteसभी कहानियां सार्थक हैं आभार
ReplyDeleteachaa laga kahani padhakar dhanyawad.
ReplyDeleteसंदेशप्रद सुंदर कहानी । बधाई ।
ReplyDeleteसुन्दर सन्देश देती सार्थक कहानी।
ReplyDeletebahut hi achhi kahani .bachcho ko bhi padhvaya.
ReplyDeleteek prerak prastuti.
dhanyvaad
poonam
इस कहानी ने बचपन की यादें ताज़ा कर दीं। दिलचस्प कहानी के लिए बधाई ।
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