Monday, September 5, 2011

खाने पीने को बंदरी डंडा खाने को रीछ

किसी शहर में एक मदारी रहता था| मदारी के पास एक बंदरी और एक रीछ थे| मदारी सारा दिन बंदरी और रीछ को नचाकर लोगों का मनोरंजन करता था, उस से जो कुछ भी मिलता उस से अपना और बंदरी और रीछ का पेट पलता था| एकबार मदारी को किसी काम से बाहर जाना पड़ा| मदारी बंदरी और रीछ को घर में छोड़ गया| बाहर जाते समय मदारी अपने लिए एक बर्तन में दही ज़माने को रख गया| मदारी के जाने के बाद कुछ देर में बंदरी को भूख लग गई| रीछ तो बेचारा चुपचाप सो गया| बंदरी ने चुपचाप मदारी का जमाया हुआ दही खालिया और थोडा सा दही सोए पड़े रीछ के मुंह पर लगा दिया| जब मदारी वापस आया तो उसने रोटी खाने के लिए दही देखा तो दही वाला बर्तन खाली था| उसने देखा कि रीछ के मुंह पर दही लगा हुआ था| मदारी ने आव देखा ना ताव देखा डंडा लेकर रीछ को पीटडाला | बंदरी चुपचाप बैठ कर तमासा देख रही थी| रीछ बेचारे को मुफ्त में मार पड़ गई| खा पी बंदरी गयी| तभी से यह कहावत बनी है कि खाने पीने को बंदरी डंडे खाने को रीछ|

16 comments:

  1. जीवन में यही होता है।

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  2. एक बहुत अच्छी कहानी, अच्छी सीख देती हुई...

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  3. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ.

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  4. असल जिंदगी में भी कभी -कभी ऐसा हो जाता है .....

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  5. ha ha ha ha
    tabhi to kehta hu hosiyar bano

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  6. दुनिया ऐसे कुटिल लोगों से भरी पड़ी है...पर सोचिये अगर बंदरी डंडे से पिटती तो क्या वो उठ पाती...बुरे लोगों के पापों को भी बिना बोले सहने के लिए रीछ जैसी सहनशक्ति चाहिए...

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  7. ठीक ही कहते है - चालक व्यक्ति हमेशा आगे निकल जाते है !

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  8. हमेशा की तरह एक बहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति. बहुत ही बढ़िया कहानी,

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  9. सुंदर व रोचक कहानी .यथार्थ में भी यही होता है.करे कोई-भरे कोई.

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  10. ऐसे लोगो को चतुर नही घातक कहते है ऐसे लोग भउत खतर्नाक होते हैं हमको चहइयि की ऐसे चालाकी से बचे कहआनी मे अछी सीख है

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  11. ऐसे लोगो को चतुर नही घातक कहते है ऐसे लोग भउत खतर्नाक होते हैं हमको चहइयि की ऐसे चालाकी से बचे कहआनी मे अछी सीख है

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  12. No doubt, its a kind of story that teach us not to punish anybody until the guilty is identified. That may be the reason which makes our Jury to take time to punish a guilty.

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  13. No doubt, its a kind of story that teach us not to punish anybody until the guilty is identified. That may be the reason which makes our Jury to take time to punish a guilty.

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