Tuesday, September 27, 2011

संगत का असर

                           बहुत समय पहले की बात है| एक गांव में एक बहेलिया रहा करता था| वह जंगल से चिड़ियों को पकड़ कर लता था और कसबे में जाकर उन्हें बेच  दिया करता था| उस से जो कुछ भी मिलता उस से अपना और अपने परिवार का पेट पालता था| एक दिन वह जंगल में घूम रहा  था| उसे एक पेड़ के कोटर में तोते के दो बच्चे खेलते हुए दिखाई दिए| उसने तोते के उन बच्चों को पकड़ लिया और अगले दिन नगर में बेच दिया| एक बच्चा एक चोर ने खरीद लिया और एक बच्चा किसी सज्जन आदमी ने खरीद लिया| तोते के बच्चे धीरे धीरे बड़े हो गए| उन्होंने बोलना भी सीख लिया| एक दिन नगर में बादशाह घूमने आया, जैसे ही बादशाह चोर के घर के पास आया तो तोता जोर जोर से बोलने लगा:- "शिकार आया है लूट लो बच के ना जाने पाए"| बादशाह आगे बढ़ गया उसे आगे उस सज्जन का घर मिल गया, जैसे ही तोते ने बादशाह को देखा तो बोल पड़ा:- नमस्ते जी, आप का स्वागत है, आप थक गए होंगे बैठिए चाय पानी पी कर जाना| बादशाह दोनों की बात सुन कर हैरान थे कुछ समझ में नहीं आ रहा था| आगे जाने पर राजा को वही बहेलिया मिल गया| बादशाह ने बहेलिया को बुलाकर पूछा कि दोनों तोते एक समान हैं पर दोनों की भाषा में इतना फरक क्यों है| बहेलिये ने बताया कि यह सब संगत का असर है| एक तोते का मालिक चोर है जो उसके घर में होता है वह तोते ने सीख लिया है, और दूसरे तोते का मालिक एक सज्जन आदमी है, जो उसके  घर में होता है वह उसके तोते ने सीख लिया है| संगत का असर सब पर पड़ता है चाहे वह आदमी हो या पंछी| इसलिए हमें हमेशा अच्छी संगत में ही रहना चाहिए|

11 comments:

  1. bahut hi badiya kahani,sach hai jiske sath reho uska asar jarur aata hai,isliye sath sadev achhe logo ka karna chahiyehai,isliye sath sadev achhe logo ka karna chahiye

    ReplyDelete
  2. संगत जीवन में गहरा जाती है।

    ReplyDelete
  3. संगत का असर तो होता ही है...पर कितना और क्या असर हुआ है यह कई बार ख़ुद को नहीं बल्कि दूसरों को पता चलता है!

    ReplyDelete
  4. संगत का अच्छा होना बहुत आवश्यक हैं ....अनुकरणीय

    ReplyDelete
  5. चन्दन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग...

    ReplyDelete
  6. यही खूबी होती थी दादी की कहानियों में। कितनी सरलता से बात समझा दी है कहानी कह के। आपका यह दादी का रूप ज़ारी रहे!

    ReplyDelete
  7. बिलकुल सही ! जैसी करनी -वैसी भरनी भी सांगत से प्रभावित होती है !

    ReplyDelete
  8. प्रेरक कहानी है। लोगों को समझ कर व्यवहार मे लाने की आवश्यकता है।

    ReplyDelete
  9. बहुत प्रेरक कथा..

    ReplyDelete