Thursday, February 10, 2011

अनुभव

             हुत समय पहले  की बात है एक गांव मे देवदत्त नाम का आदमी रहता था| उसका एक बेटा था जिस  का नाम पान देव था| पान देव को देव दत्त ने बड़े लाड़ प्यार से पाला  पोषा और उसको ऊँची तालीम दिलाई ताकि पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बने और बुढ़ापे  मे उस  का सहारा बने| पान देव पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बन गया और उसको शहर मे एक अच्छी सी नौकरी मिल गई अब पान देव नौकरी करने शहर जाया करता था| कुछ समय बाद  पान देव की शादी हो गई| शादी के बाद कुछ ही दिनों मे पानदेव ने शहर मे एक कमरा किराए पर लेलिया और अपनी घर वाली को साथ  लेकर शहर मे ही रहने लगा| कुछ समय बाद उस के घर मे बेटे ने जन्म लिया| समय धीरे धीरे आगे बढता गया| पान देव ने बेटे का नाम शोम देव रख्खा| शोमदेव समय के साथ साथ बड़ा होता गया| स्कूल की पढाई चालू हो गई| उधर पान देव के माँ  बाप भी गांव मे रहते हुए बूढ़े हो गए थे| पान देव ने कभी भी उनके बारे मे नहीं सोचा कि उनको भी साथ रखले| उसने उन्हे बेकार समझ कर  ही गांव मे छोड़ा था|
            शोमदेव अब बड़ा हो गया था |उसके स्कूल मे कुछ यार दोस्त भी बन गए|शिव लाल उसका अच्छा दोस्त था और दोनों एक दूसरे के घर आया जाया करते थे| एक दिन उनका परिक्षा का परिणाम आने वाला था दोनों दोस्त स्कूल गए| परिक्षा परिणाम देखा तो शोमदेव के  अंग्रेजी मे नंबर कम थे उसके दोस्त शिवलाल अच्छे नंबरों मे पास हुआ था| दोनों दोस्त मिल कर शोम देव के घर आ गए| शोम देव के पिता पान देव ने परीक्षा परिणाम के बारे मे पूछा तो शोम देव ने बताया कि मेरी  अंग्रेजी मे कमपार्टमेंट  है  और शिवलाल अच्छे नम्बरों से पास हुआ है| पान देव ने शिव लाल की तरफ देखा तो शिव लाल बोल पड़ा कि ताया जी यह सब मेरे दादाजी, दादीजी के  आशीर्वाद का फल है| मेरे दादाजी मुझे रात दिन पढ़ाते हैं और अच्छी अच्छी बातें बताते हैं| दादाजी ने मुझे कई किसम के खेल भी सिखाए हैं| उन के अनुभव ही मेरे काम आ रहे हैं और आगे भी आते रहेंगे | शिव लाल से अपने दादा,दादी की प्रशंसा सुन कर पान देव को भी अपने माँ बाप की याद आ गई| वह सोचने लगा कि मैंने  तो कभी अपने माँबाप के अनुभवों  का लाभ उठाने के बारे मे सोचा ही नहीं था| पुराने लोगों के अनुभव ही आदमी को सफलता की सीडियां पार  करने मे सहायक हो सकती हैं| यह सोचते ही पान देव के मन मे  आया कि वह कल ही जा कर अपने माँ  बाप को शहर अपने पास ले आये| उसने अपने बेटे से कहा  बेटा अब तुम भी अच्छी पोजीसन मे पास हुआ करोगे | मे कल ही जाकर तुम्हारे दादा, दादीजी को यहाँ शहर अपने साथ ले आऊंगा | वे हमारे साथ ही शहर मे रहेंगे| इतना सुनते ही शोम देव के चहरे पर मुस्कराहट आ गई| और सोचने लगा कि अब मे भी शिवलाल की तरह अपने दादाजी दादीजी के अनुभवों का फ़ायदा ले सकूँगा| जिन्दगी मे सफलता की सीड़ियों को आसानी से पार  कर सकूँगा|  अगले ही दिन पान देव गांव गया और अपने माता  पिताजी को साथ लेकर शहर आगया| बुजर्गों के पास अनुभवों का ऐसा अनमोल खजाना होता है,जिस का लाभ उठाकर उनके परिवार के लोग अपने जीवन को सुखी, सुसंस्कृत और संपन्न बना सकते हैं| इस लिए हमेसा बुजर्गों का आदर सत्कार करना चाहिए| और उनका  आशीर्वाद  लेना चाहिए| 

10 comments:

  1. बुजुर्गों के आशीर्वाद में बहुत शक्ति होती है...कहा भी गया है...
    अभिवादन शीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः
    चत्वारी तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्यायशोबलम.

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  2. बुजर्गों के पास अनुभवों का जो अनमोल खजाना होता है, वो कहीं और से मिल सकता ।
    एक बेहद प्रेरणादायी प्रसंग ।

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  3. राजेश जी की संस्कृत बहुत अच्छी है ।

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  4. यही सीख हम सबके लिये हो।

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  5. बहुत अच्छी सीख ....

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  6. बहुत अच्छी सीख देती हुई कहानी!

    बहुत खुबसूरत !

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  7. आदरणीय ..... जी,

    प्रयोग अथवा परीक्षा द्वारा प्राप्त ज्ञान अनुभव कहलाता है।

    कहानी के माध्यम से अच्छी शिक्षा दी है आपने बहुत बहुत आभार.......

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  8. khani -Atiutam-*****

    blog ka name - bhut acha hai :)

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